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राष्ट्र के लिए रानी लक्ष्मीबाई का योगदान अतुलनीय : एबीवीपी

रानी लक्ष्मीबाई जयंती पर एबीवीपी एचपीयू इकाई ने की पुष्पांजलि अर्पित

शिमला (हिमदेव न्यूज़) 19 नवंबर, 2022 बीवीपी एचपीयू इकाई ने आयोजित की मेहंदी एवं रस्साकशी प्रतियोगिताअखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय इकाई ने आज रानी लक्ष्मी बाई जयंती के उपलक्ष्य पर विश्वविद्यालय के ऐतिहासिक पिंक पैटल पर पुष्पांजलि अर्पित की। पुष्पांजलि अर्पित करने के उपरांत विवि इकाई के द्वारा 1857 की क्रांति की अग्रणी योद्धा महारानी लक्ष्मीबाई की जयंती के अवसर पर विवि पुस्तकालय के बाहर मेहंदी प्रतियोगिता एवं ऐतिहासिक पिंक पैटल पर छात्राओं के बीच रस्साकशी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। विश्वविद्यालय में आयोजित इन प्रतियोगिताओं में अनेकों छात्राओं ने भाग लिया।भारतीय संस्कृति में मेहंदी का विशेष महत्व पिंक पैटल पर मौजूद छात्र छात्राओं को सम्बोधित करते हुए इकाई सह मंत्री सुनील ने कहा कि मेहंदी भारतीय परंपराओं में बहुत सांस्कृतिक महत्व रखती है। मेहंदी का उपयोग भारतीय परंपरा में बेहद शुभ माना जाता है, खासकर हिंदुओं के भीतर, जो मेहंदी को प्रथागत सोलह श्रृंगार का हिस्सा मानते हैं। हिन्दू संस्कारों में शुभ अवसरों और उत्सवों में मेहंदी के बिना कार्य संभव ही नहीं है।राष्ट्र के लिए रानी लक्ष्मीबाई का योगदान अतुलनीय सुनील ने कहा कि रानी लक्ष्मीबाई भारतवर्ष की प्रत्येक स्त्री के लिए शौर्य का प्रतीक है। महिलाएं शुरू से हर क्षेत्र में आगे रही हैं, चाहे रानी दुर्गावती हों या रानी लक्ष्मी बाई, उनकी वीरता का बखान मुश्किल है। रानी लक्ष्मीबाई से नौजवानों को वीरता स्वदेश प्रेम और आत्म बलिदान की प्रेरणा मिलती है उन्होने कहा कि स्त्री शक्ति हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही है। हालांकि पहले महिलाओं को सिर्फ गृहणी के रूप में देखा जाता था, लेकिन महिलाएं आज हर क्षेत्र में पुरुषों से न केवल कदम से कदम मिलाकर चल रही हैं, बल्कि उनसे आगे भी निकल रही हैं। झांसी की रानी लक्ष्मी बाई ने अपनी वीरता से अंग्रेजों का जीना हराम कर दिया था। रानी लक्ष्मीबाई गजब की उत्साही एवं उनमें वीरों की भांति तेज था। आज की प्रत्येक महिलाओं को उनका अनुसरण करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब अंग्रेजों ने झांसी पर कब्जा करने की कोशिश की तो एक महिला होकर भी पूरी वीरता के साथ लड़कर रानी लक्ष्मी बाई ने अंग्रेजों को चने चबा दिए थे। लक्ष्मीबाई औपनिवेशिक शासन के खिलाफ भारत के 1857 स्वतंत्रता संग्राम की एक महत्वपूर्ण शख्सियत हैं जिन्होंने झांसी पर कब्जा करने का प्रयास कर रही ब्रिटिश सेना से बहादुरी से लड़ते हुए अपने प्राण का बलिदान कर दिया था।हमारे देश के लिए उनके साहस और महत्वपूर्ण योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता। उनकी शौर्य गाथा हमेशा देशवासियों के लिए प्रेरणास्त्रोत रहेगी।