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शायरी की तलब सुरेंद्र शर्मा शिव

हमें दिल लगाने की तलब थी
उन्हें चस्का दिल जलाने का
हमें पास उनके जाने की तलब थी
उनके पास हुनर हमें सताने का

आज हमें शायरी की तलब है
और उन्हें इंतज़ार शायरी का
कोसो दूर रहे एक दूसरे से ताउम्र
फलसफा यही रहा ज़िंदगी का