Udaipur : राजस्थान के उदयपुर जिले (Udaipur News) की वल्लभनगर विधानसभा सिट पर होने वाले उपचुनावों के तारिखों की आज घोषणा के साथ ही रणभेरी सज चुकी है. राजनीतिक पार्टियों के साथ ही चुनावी मैदान में उतरने वाले संभावित प्रत्याशियों ने अपनी दावेदारी को और मजबूत करने में जुट गए हैं. त्रिकोणीय मुकाबले वाली इस सिट पर कांग्रेस पार्टी का दबदबा रहा है, लेकिन इस बार का चुनाव कांग्रेस, बीजेपी और तीसरे मोर्चे के रूप में चुनावी मैदान में उतरने वाली जनता सेना के लिए इतना आसान नहीं रहेगा.
चुनाव के तारिखों की घोषणा के साथ ही संभाग की एक मात्र त्रिकाणिय मुकाबले वाले वल्लभनगर क्षेत्र की राजनीति गरमाने लगी है. चुनावी मैदान में अपनी दावेदारी जताने वाले दावेदारों ने अपनी तैयारियों को तेज कर दिया है. हालांकि वल्लभनगर विधानसभा क्षेत्र (Vallabhnagar Assembly) की बात करें तो यहां पर कांग्रेस पार्टी का दबदबा रहा है. वर्ष 1952 से हो रहे विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने 9 बार यहां जीत दर्ज की है. कांग्रेस पार्टी ने यहां हर बार पूर्व गृहमंत्री और पार्टी के वरिष्ठ नेता रहे गुलाब सिंह शक्तावत और उनके परविार को ही चुनावी मैदान में उतारा है, जिसमें 6 बार गुलाब सिंह शक्तावत और 2 बार गजेन्द्र सिंह शक्तावत ने जीत दर्ज की है. वहीं, गजेन्द्र सिंह की निधन के बाद उनकी शक्तावत परिवार से दिवंगत विधायक गजेन्द्र सिंह की पत्नी प्रिति शक्तावत, गजेन्द्र के बड़े भाई दवेन्द्र सिंह शक्तावत दोनों ही दावेदारी जता रहे हैं. यह पहला मौका है जब टिकिट को लेकर शक्तावत परिवार का विवाद भी घर के बाहर है. वहीं, 18 पंचायतों वाले मेवल क्षेत्र के लोगों ने भी कांग्रेस पार्टी से पहली बार टिकिट की मांग की है और मेवल क्षेत्र से आने वाले भीमसिंह चुण्डावत को टिकिट देने की मांग की है. इसके अलावा राजसिंह झाला और कुबेरसिंह चावडा सहीत अन्य दावेदार भी टिकिट के लिए दावेदारी जता रहे हैं.
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कांगेस पार्टी का मजबूत किला रहा वल्लभगनर विधान सभा क्षेत्र में पिछले कुछ वर्षों में विरोधियों ने कांग्रेस को कड़ी टक्कर दी है. पंचायत चुनाव हो या फिर स्थानिय नगर पालिकाओं के कही भाजपा तो कई तीसरे मार्चे के रूप में दम खम दिखाने वाली जनता सेना ने कांग्रेस पार्टी (Congress) को कड़ी टक्कर दी है. साथ ही चुनावी मैदान में जीत भी दर्ज की है. टिकिट को लेकर कांग्रेस में चल रहे अन्तकलह के बाद भारतीय जनता पार्टी के भी कई नेता इस बार चुनावी मैदान में उतरने के लिए मजबूती से दावेदारी दिखा रहे हैं. कांग्रेस के साथ भाजपा और जनता सेना के नेता भी उपचुनाव में अपनी अपनी जीत का दावां कर रही है.
बहरहाल चुनाव के तारिख की घोषणा के साथ ही जहा राजनीतिक दलों ने चुनावी मैदान में उतारने के लिए प्रत्याशियों के चयन की प्रक्रिया को गति दे दी है, लेकिन एक बात तो साफ है कि जो भी दल टिकिट की घोषणा के बाद पार्टी में होने वाले डेमेज को कंट्रोल करने में सफल हुआ वहीं चुनावी रण में जीत दर्ज कर पाएगा.
Report : Avinash Jagnawat