हिमालयन वन अनुसंधान संस्थान, शिमला द्वारा 06 जनवरी, 2022 को संस्थान के सभागार में वेबिनार का आयोजन किया गया, जिसका मुख्य उद्देश्य वानिकी प्रजातियों के क्लोन/ किस्म के विमोचन हेतु दिशा निर्देशों एवं प्रक्रियाओं विषय पर चर्चा करना था । इस कार्यक्रम में संस्थान के समस्त वैज्ञानिकों, अधिकारियों और शोधार्थियों सहित कुल 80 प्रतिभागियों ने ऑनलाइन माध्यम से भाग लिया। वेबिनार का आयोजन संस्थान के निदेशक डॉ. एस.एस. सामंत एवं समूह समन्वयक अनुसंधान डॉ संदीप शर्मा, वैज्ञानिक-जी, के दिशा निर्देशों के अनुरूप किया गया। कार्यक्रम के आरंभ में निदेशक, हिमालयन वन अनुसंधान संस्थान शिमला ने अपने उदघाटन भाषण में संस्थान में क्लोन/क़िस्मों के विकास से संबन्धित शोध कार्यों के बारे में बताया और इस संदर्भ में वेबिनार के महत्व पर प्रकाश डाला। साथ ही उन्होने कार्यक्रम में अपना व्याख्यान देने हेतु आमंत्रण स्वीकार करने के लिए सभी विशेषज्ञों को भी धन्यवाद दिया । उन्होने आशा जताई कि कार्यक्रम से जुड़े सभी लोग लाभान्वित होंगे ।
डॉ. बालकृष्ण तिवारी ,वैज्ञानिक ने अपने स्वागत भाषण में व्याख्यान हेतु आमंत्रित सभी विशेषज्ञों डॉ योगेश्वर मिश्रा वैज्ञानिक- जी, आई.एफ.पी, रांची; डॉ अशोक कुमार, वैज्ञानिक- जी, वन अनुसंधान संस्थान, देहरादून; डॉ रमेश कुमार भारद्वाज, प्रधान वैज्ञानिक, डॉ यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी, सोलन और डॉ ए. निकोड़ेमस, वैज्ञानिक- जी, वन आनुवंशिकी एवं वृक्ष प्रजनन संस्थान, कोयम्बटूर एवं सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया एवं कार्यक्रम के उद्देश्य के बारे में अवगत करवाया ।
ऑनलाइन माध्यम से जुड़े विभिन्न संस्थानो के विशेषज्ञों ने वानिकी प्रजातियों व औषधीय पौधो की नई किस्मों/ क्लोन के विमोचन पर विस्तृत व्यख्यान दिये। जिसमें उन्होने केसौरिना, मीलिया दुबिया, नीम, सर्पगंधा और गिलोय जैसे पौधों का उदाहरण दे कर चरनबद्ध तरीके से क्लोनों के विकास और उनके पंजीकरण व विमोचन पर जानकारी दी । इसके अतिरिक्त वृक्ष प्रजनन से नई किस्में तैयार करने पर विचार सांझा किये। विशेषज्ञों ने नई वानिकी प्रजातियों के क्लोन/ किस्मों के विकास के लिए उत्कृष्ट पौधों के चयन पर ज़ोर दिया एवं क्षेत्रीय व राष्ट्रीय स्तर पर परीक्षण से जुड़े सभी पहलुओं पर बारीकी से चर्चा की। वर्तमान परिपेक्ष में नए क्लोन/ किस्मों का किसानों के आर्थिक उन्नति में योगदान पर भी प्रकाश डाला।
डॉ संजीव के. चौहान, अध्यक्ष वानिकी एवं प्रकृतिक संसाधन विभाग, पंजाब कृषि विश्वविद्यालय नें पैनल डिस्कशन के दौरान पंजाब और हरयाणा में पोप्लर, केसौरिना और मीलिया दुबिया के क्लोनों के कृषीवनिकी क्षेत्र में प्रदर्शन एवं भविष्य की संभावनाओं के बारे में बताया।
डॉ॰ सामंत,निदेशक, हिमालयन वन अनुसंधान संस्थान ने आयोजन से जुड़े सभी लोगों के प्रयासों की सराहना की तथा सभी वक्ताओं के योगदान को संक्षेप में बताते हुये उनका धन्यवाद दिया । कार्यक्रम के अंत में श्री प्रवीन रावत, वैज्ञानिक ने संस्थान के निदेशक, मुख्य वक्ता, अन्य सभी वक्ताओं, वैज्ञानिकों, अधिकारियों, कर्मचारियों, शोधार्थियों तथा अन्य सभी प्रतिभागियों का कार्यक्रम को सफल बनाने में योगदान देने के लिए धन्यवाद दिया ।
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