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अखिल भारतीय प्राच्यविद्या सम्मेलन उडुपी में हुई हिमाचल में संस्कृत हिन्दी एवं अंग्रेजी में प्रार्थना सभा करवाने के निर्णय की प्रशंसा

उडुपी:30 अक्तूबर 2024: केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय नई दिल्ली एवं भारतीय विद्वत् परिषद् बेंगलुरु के संयुक्त तत्वावधान में अखिल भारतीय प्राच्यविद्या सम्मेलन द्वारा 51 वें तीन दिवसीय सत्र का आयोजन कर्नाटक के उडुपी में श्रीकृष्ण मठ में किया गया। जिसमें देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपतियों आचार्यों सहित विद्यालयों एवं महाविद्यालयों में सेवारत संस्कृत विद्वानों ने भाग लिया।‌ जिसमें प्राच्यविद्या की 23 विधाओं में 119 सत्रों में 891 शोध-पत्र प्रस्तुत किए गए। इसके साथ भारतीय ज्ञान परम्परा पर आधारित सांस्कृतिक कार्यक्रम, यक्षनृत्यम्, यक्षगानम्, श्रीकृष्णनृत्यम् तथा 16 संस्कारों पर नाटक प्रस्तुत किए गए।
इस सम्मेलन में शिक्षा विभाग जिला मण्डी में सेवारत संस्कृत शिक्षक डॉ मनोज कुमार शैल राजकीय उच्च पाठशाला बिजन-ढलवान तथा डॉ पद्मनाभ शर्मा राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय रिस्सा ने भी भाग लिया। डॉ मनोज कुमार शैल ने हिमाचल प्रदेश में संस्कृत शिक्षकों द्वारा संस्कृत के क्षेत्र में किए जा रहे प्रयासों, संस्कृत पत्रकारिता में हिमसंस्कृतवार्ता का योगदान तथा प्रदेश में भाषा ज्ञान के साथ-साथ अभिव्यक्ति कौशल के विकास के लिए सप्ताह में विद्यालयों में दो-दो दिन संस्कृत हिन्दी एवं अंग्रेजी भाषा में करवाई जा रही प्रार्थना सभा के विषय पर अपना शोध-पत्र प्रस्तुत किया। प्राच्यविद्या की आधुनिक संस्कृत विधा में पढ़े गये शोध-पत्र की सत्राध्यक्ष डॉ तुलसीदास परुही प्रोफेसर महर्षि पाणिनि संस्कृत विश्वविद्यालय उज्जैन ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रशंसा की तथा कहा कि हिमाचल प्रदेश शिक्षा विभाग का तीनों भाषाओं में अभिव्यक्ति कौशल विकास के लिए विद्यालयों में दो-दो दिन करवाई जा रही प्रार्थना सभा की पहल प्रशंसनीय है। क्योंकि विद्यार्थी प्रार्थना सभा के माध्यम से ही अभिव्यक्ति सीखता है। अतः देश के विद्यालयों में भी यह प्रयास होने चाहिए। डॉ मनोज शैल ने बताया कि अखिल भारतीय प्राच्यविद्या सम्मेलन का आयोजन दो वर्ष बाद होता है। हिमाचल सरकार, शिक्षा विभाग तथा संस्कृत शिक्षकों के प्रयासों पर देश के विद्वानों के समक्ष हिमाचल का पक्ष रखने का सुअवसर मिला यह गौरवशाली है। हिमाचल के संस्कृत शिक्षक मिलकर संस्कृत पत्रकारिता में भी सेवाभाव से कार्य कर रहे हैं तथा प्रतिदिन यूट्यूब, फेसबुक एवं बेवसाइट के माध्यम से हिमसंस्कृतवार्ता के नाम से संस्कृत वार्ता का प्रसारण एवं दैनिक ई-समाचारपत्र का प्रकाशन कर रहे हैं। यह भी एक अद्वितीय पहल है।‌केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो श्रीनिवास बरखेड़ी, मुक्त स्वाध्याय पीठ के निदेशक डॉ रत्नमोहन झा, भारतीय विद्वत् परिषद् ने भी हिमसंस्कृतवार्ता की प्रशंसा की तथा अपने-अपने फेसबुक पृष्ठ पर हिमसंस्कृतवार्ता के समाचारपत्र को साझा किया।
इसी क्रम में पुराण एवं काव्य की विधा के सत्र में डॉ पद्मनाभ शर्मा ने आधुनिक भारत के सनातन कवि रेवाप्रसाद द्विवेदी प्रणीत उत्तरसीताचरितम् महाकाव्य की संस्कृत स्रोतकथाओं से तुलनात्मक समीक्षा इस विषय पर अपना शोध-पत्र प्रस्तुत किया । आधुनिक संस्कृत कवि रेवाप्रसाद द्विवेदी पर राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान वर्तमान में केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय द्वारा सनातनस्य काव्यवैभवम् (‘सनातन साहित्य की महिमा’) एक संस्कृत मोनोग्राफ भी प्रकाशित किया गया है।जिसमें संस्कृत काव्यशास्त्र पर उनके कार्यों की प्रमुख प्रकृति को दर्शाया गया है।
इस सम्मेलन में विद्यालय स्तर पर डॉ मनोज शैल एवं डॉ पद्मनाभ शर्मा के शोध-पत्रों का चयन प्रस्तुति हेतु हुआ था।