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Bihar election results public majority is with PM Narendra modi | बिहार में तो असली माहौल ऐसा था, जानें ग्राउंड रिपोर्टिंग के रोचक किस्से

पहले फेज के मतदान के बाद मैंने तय किया कि अब हर शहर में दो अलग अलग चौपाल करूंगा. मैंने शहर और गांव दोनों में चौपाल करना शुरू किया. अब अपना अगला पड़ाव समस्तीपुर था. यहां मुसरीघरारी के एक गांव में किसानों और खेतिहर मजदूरों के साथ चौपाल किया. जहां किसान मोदी सरकार से मिल रहे सालाना 6 हजार रुपए को अपने लिए संजीवनी बता रहा था तो खेत में काम कर रही महिलाएं गैस सिलेंडर से लेकर अकाउंट में मिल रहे पैसे का जिक्र कर पीएम मोदी को वोट करने की बात कर रही थीं.

समस्तीपुर के बाद मुजफ्फरपुर के लिए निकला. वहां भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद जिस कॉलेज से पढ़े उस कॉलेज यानी लंगट सिंह कॉलेज के छात्रों के साथ चौपाल किया. सबके सब नीतीश सरकार की शिक्षा नीति से बेहद नाराज दिखे. एक ने यहां तक कहा कि अगर चुनाव के नतीजे समय पर आ सकते हैं तो हमारे एग्जाम के क्यों नहीं.

NDA की बिहार में सबसे बेहतर परफॉर्मेंस
इसके बाद अपने जन्मस्थान चंपारण पहुंचा. मोतिहारी जिले के संग्रामपुर प्रखंड के ब्लॉक प्रमुख हमारे चाचा हैं. रात के 11 बजे पहुंचा था, चाचा अलग अलग पंचायत के लोगों के साथ बैठकर बातचीत कर रहे थे. मैं भी बैठ गया. कुछ लोग जातीय समीकरण के आधार पर राजद और भाजपा के बीच कड़ी टक्कर बता रहे थे. तभी चाचा ने भोजपुरी में कहा कि “हमार बात सुन” मैंने कहा कि बोलीं. उन्होंने कहा कि गरीब और महिला सब मोदी के साथ बा….”गरीबन के अकाउंट में सीधा पैसा आवत और अनाज मिल ता” केहू कुछ कहे गरीब और औरत सब मोदी के ही वोट दिहन सब. पूर्वी चंपारण में NDA 12 में से 9 सीटें जीती. ये NDA की बिहार में सबसे बेहतर परफॉर्मेंस मानी गई.

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‘मोदी की वजह से सुरक्षित’
अब रक्सौल बॉर्डर चौपाल करने पहुंचा. यहां तो कमाल हो गया, चौपाल के दौरान हमारे स्टैंड पर प्रधानमंत्री मोदी की तस्वीर देखकर नेपाल का एक नागरिक अपने आप को रोक नहीं पाया. हमारे हाथ से माइक लिया और जोर जोर से कहना लगा कि “मोदी हैं तो मुमकिन है.

मैंने पूछा कि भला क्यों… तो भारत और नेपाल दोनों तरफ के लोगों ने एक सुर में बोला कि “बॉर्डर पर हम मोदी की वजह से तो सुरक्षित हैं”. ये भारत नेपाल बॉर्डर का आखिरी गांव सिवान टोला था. जहां एक तरफ भारत का सिवान टोला था, तो दूसरी ओर नेपाल का सिवान टोला.

चुनावी कवरेज के अपने अंतिम पड़ाव पर मैं वाल्मीकिनगर के थरूहट इलाके में चौपाल करने पहुंचा. आदिवासी लोगों के साथ रात को सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ चौपाल था. इसमें महादेवा गांव के पुरूष और महिलाएं दोनों शामिल थी. रात 8 बजे का समय होगा. चौपाल के दौरान जब एक महिला से मैंने भोजपुरी में पूछा कि “अबकी बार बिहार में केकर सरकार” महिला ने सीधा जवाब दिया कि 15 साल पहले 5 बजे के बाद हमनी घर से न निकलत रहनी. अब 8 बजे राउर प्रोग्राम में बैठल बानी…हमनी के त नीतीश सरकार चाही.

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प्रधानमंत्री डबल इंजन की सरकार को अपने दम पर खींच लेंगे
पूरा बिहार घूमने के बाद ऐसा लगने लगा कि भले ही लोग नीतीश से नाराज हैं लेकिन प्रधानमंत्री डबल इंजन की सरकार को अपने दम पर खींच लेंगे. हालांकि 7 तारीख को आखिरी चरण के बाद आए exit poll ने ठीकठाक कंफ्यूज कर दिया. वैसे अपने एक पुराने साथी और एक न्यूज़ चैनल के चर्चित एंकर ने पूछा कि त्रिपाठी जी क्या है आपका आकलन. मैंने लिखा कि बिहार में गरीब और किसान मोदी के साथ मजबूती से खड़ा है, नौजवान तेजस्वी यादव के साथ है और महिलाओं में नीतीश की पकड़ अभी भी है.

मैंने ये भी लिखा कि बिहार में सरकार BJP और राजद के परफॉर्मेंस पर नहीं… जदयू और कांग्रेस के परफॉर्मेंस के आधार पर बनेगी. शायद मैं काफी हद तक ठीक था.

लेखक: रवि त्रिपाठी Zee News में असिस्टेंट एडिटर के पद पर कार्यरत हैं.
(इस लेख में व्यक्त विचार लेखक के निजी विचार हैं.) 

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