Jaipur: बीसलपुर बांध (Bisalpur Dam) से पूरे साल के लिए अच्छी खबर सामने आई है. बांध में जयपुर समेत 4 जिलों के लिए 11 महीने की पानी की आवक दर्ज की गई है. बीत 72 घंटो में बीसलपुर बांध में पानी आने की रफ्तार तेज हो गई है और बांध में पानी आने से इस साल चार जिलों में जलसंकट टल गया है.
अब नहीं होगी पानी की कटौती
जयपुर (Jaipur news) समेत चार जिलों की लाइफलाइन कहे जाने वाले बीसलपुर बांध में सालभर का पानी का गया है. पानी की लगातार आवक के कारण इस साल जलसंकट टल गया है, जिसके बाद अब पानी की कटौती भी नहीं की जाएगी. इससे पहले जलदाय विभाग (Water Supply Department) ने 15 सितंबर से पानी कटौती तैयारी कर ली थी. अब बांध के भराव क्षेत्र में त्रिवेणी लगातार बह रही है और माना जा रहा है कि बांध का जलस्तर 312 आरएल मीटर को पार गया तो पेयजल कटौती बंद हो जाएगी. फिलहाल जयपुर,अजमेर (Ajmer) और टोंक (Tonk) में 5 फीसदी पानी की कटौती की जा रही है.
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5 मीटर की ऊंचाई पर बह रही त्रिवेणी
बीसलपुर बांध का जलस्तर 311.21 आरएल मीटर पहुंच गया है और त्रिवेणी नदी 5 मीटर की ऊंचाई पर बह रही है, जो इस मानसून (Monsoon) में अब तक सबसे ज्यादा है. बांध में वतर्मान पेयजल कटौती के हिसाब से देखा जाए तो 11 माह के पानी का इंतजाम हो चुका है. बीसलपुर बांध में हमेशा अगस्त-सितंबर की बारिश में ही चादर चलती है.
कैचमेंट एरिया में हो रही अच्छी बारिश
जल संसाधन विभाग (Department of Water Resources) की माने तो वर्ष 2016 में त्रिवेणी 14 मीटर ऊंचाई पर बही तो बांध पर चादर चली. वहीं, साल 2019 में त्रिवेणी 9 मीटर ऊंचाई पर बही तो चादर चली और अब आंकलन है कि त्रिवेणी 07 मीटर से अधिक ऊंचाई पर बहती है तो चादर चल सकती है. ऐसे में अब त्रिवेणी से आस लगाई जा रही है कि बांध के बहाव क्षेत्र में पानी की आवक लगातार बढ़नी चाहिए. बीसलपुर में पिछले छह दिन से लगातार पानी आ रहा है. भीलवाड़ा और चित्तौड़ में हो रही अच्छी बारिश से लगातार पानी की आवक हो रही है और बांध में मानसून की बारिश में अब तक करीब 2 मीटर पानी की आवक हो चुकी है.
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बीसलपुर में पांच बार चली चादर
बीसलपुर बांध पर अब तक पांच बार चादर चल चुकी है और इस बार भी चादर चलने का इंतजार शुरू हो रहा है. त्रिवेणी से पानी की लगातार आवक के कारण चादर चलने की उम्मीद जगी है. बता दें कि बांध का कुल जलस्तर 315.50 मीटर है. जल संसाधन विभाग की माने तो वर्ष 2004 में पहली बार चादर चली थी. उसके बाद 2006, 2014, 2016 और साल 2019 में चादर चली थी. पिछली बार चादर चलने के दौरान जल संसाधन विभाग को बांध के सभी गेट खोलने पड़े थे. करीब 20 दिन तक बांध से पानी बाहर निकाला गया था.