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शीत लहर (सुरेंद्र शर्मा)

रहते हो हमेशा गरम,
उमस भरे माहौल में
देखो आज तुम्हारे बीच
शीत लहर आई है

जानता हूं ये बात तैयार नहीं हो
तुम इसके लिए आज भी
लेकिन ये तो हर बरस की तरह
समय पर आई है इस बार भी

ओढ़ लो कंबल
कर लो रज़ाई का इंतज़ाम
आग सेकते हुए ही
अब करना दिनभर आराम

ले लिया अगर तुमको
अपने आहोश में इसने
उठ नहीं पाया कई दिनों तक वो
सामना किया उसका जिसने

तुम तो अनजान हो इससे
जाने कैसे पकड़ लेगी तुम्हें
पूछ लेना पहाड़ के लोगों से
वो ही ये बता पाएंगे तुम्हें

सूरज के दर्शन तो होते नहीं
पहले से ही कभी तुम्हें
अब इस कोहरे में छुपकर
शीत लहर सताएगी तुम्हें

होगा उनका क्या अब
सर पर नहीं है कोई छत जिनके
सोते है फुटपाथ पर ही
रजाई कंबल नहीं है पास जिनके।