नई दिल्ली: रेडीमेड कपड़ों की खरीदारी करते वक्त भारतीयों की सबसे बड़ी अड़चन है, अपनी फिटिंग के हिसाब से कपड़े मिल पाना. कभी यूएस तो कभी यूके साइज में हम अपने कपड़े तलाशते हैं तो कभी स्मॉल, मीडियम और लार्ज के हिसाब से कपड़े लेते हैं. इस समस्या में कई बार आप भी उलझे होंगे. कपड़ों की ऑनलाइन शॉपिंग में ये परेशानी और बड़ी हो जाती है. एक ब्रांड का स्मॉल साइज दूसरे का मीडियम है. यही मीडियम साइज तीसरे ब्रांड का लार्ज साइज है. कई बार तो ये साइज भी लोगों फिट नहीं होते और हम समझौता कर लेते हैं.
भारत के पास कपड़ों का साइज चार्ट नहीं
पूरी दुनिया में केवल 18 देश हैं, जहां कपड़ों या जूतों के लिए अलग साइज चार्ट हैं. भारत उन 18 देशों में नहीं है और भारतीय कपड़ा उद्योग की सबसे बड़ी अड़चन यही है, लेकिन अब भारत में रेडीमेड कपड़ों का बाजार इंडिया साइज के हिसाब से बदलने वाला है.
दूसरा सबसे ज्यादा नौकरी देने वाला सेक्टर
भारतीय कपड़ा उद्योग देश का दूसरा सबसे ज्यादा नौकरी देने वाला सेक्टर है. इस सेक्टर का सालाना व्यापार करीब 14 हजार करोड़ रुपये का है. भारतीय कपड़ा उद्योग में घरेलू खपत ही करीब 10000 करोड़ रुपये है, जबकि 4000 करोड़ रुपये का व्यापार निर्यात से होता है.
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साइज चार्ट के लिए बनाए गए हैं 120 पैमाने
यही वजह है कि भारतीय कपड़ा उद्योग को काफी समय से इंडिया साइज की तलाश थी. इसीलिए देश भर के 6 अलग-अलग शहरों में लोगों का नाप लेकर ये समझा जाएगा कि कैसे भारतीयों के हिसाब से साइज चार्ट बनाया जाए. दिल्ली के अलावा मुंबई, चेन्नई, हैदराबाद, कोलकाता और शिलॉन्ग में ये सर्वे किया जाएगा. ये शहर इसलिए चुने गए हैं, क्योंकि राज्यों के हिसाब से भारत में कद काठी भी बदल जाती है. नाप लेने के लिए 120 पैमाने बनाए गए हैं और थ्री डी स्कैनर (3D Scanner) का इस्तेमाल किया गया है.
कब खरीद पाएंगे इंडिया साइज के कपड़े?
थ्री डी स्कैनर के जरिए व्यक्ति की कद काठी के हिसाब से डेटा कलेक्ट किया जा रहा है और 120 अलग-अलग पैमानों पर शरीर का नाप लिया जा रहा है. इस खास मशीन के सहारे कंधे, सीना, बाजू यहां तक कि पैरों और सिर का माप भी लिया जा रहा है. दरअसल, पिछले काफी समय से भारतीयों के कपड़ों या जूतों के नाप का एक तय पैमाना सेट करने की कवायद चल रही है. वर्ष 2019 में कपड़ा मंत्रालय और NIFT यानी नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी ने मिलकर भारतीयों के लिए आदर्श माप की तलाश शुरू की थी.
अभी तक हर भारतीय को अपने रेडिमेट कपड़े या फिर जूते अमेरिका या इंग्लैड के साइज के हिसाब से खरीदना पड़ता था. यही वजह है कि इससे भारतीय कपड़ा उद्योग को काफी नुकसान होता था, क्योंकि भारतीय रेडिमेड कपड़ों के मामले में तय साइज ना होने की वजह से 20 से 30 प्रतिशत कपड़े फिटिंग के पैमानों पर नकार दिए जाते थे.
देखा जाए तो 135 करोड़ लोगों के देश को आदर्श साइज में समेटना आसान नहीं है, लेकिन इंडिया साइज की तलाश कर रही टीम का मानना है कि साल 2022 के अंत तक ये काम पूरा हो जाएगा. यानी साल 2023 से भारतीय रेडिमेड कपड़ों में आपको इंडिया साइज लिखा हुआ मिलेगा.