



Jaipur: प्रशासन शहरों और प्रशासन गांवों के संग अभियान से पहले विभिन्न कर्मचारी संगठनों ने अपनी मांगों को लेकर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. सरकार की ओर से आमजन को राहत देने के लिए 2 अक्टूबर से अभियान चलाया जा रहा है, लेकिन कर्मचारियों की नाराज रखकर सरकार कैसे अभियान को आगे बढ़ा पाएगी.
राजस्व सेवा परिषद, मंत्रालयिक कर्मचारी संघ, सरपंच संघ, राजस्थान अधीनस्थ कर्मचारी कम्प्यूटर संघ ने भी आंदोलन का ऐलान किया है. ऐसे में सरकार के सामने 2 अक्टूबर से पहले कर्मचारी संघों को संतुष्ट करना बड़ी चुनौती बन गई है.
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अजमेर राजस्व मंडल पर धरने का ऐलान
राजस्व सेवा परिषद ने सरकार के साथ पूर्व में हुए समझौतों का पालना नहीं होने को लेकर 29 सितंबर को राजस्व मंडल अजमेर पर धरने का ऐलान किया है. इसके साथ ही मांगें नहीं माने जाने पर प्रशासन शहरों और प्रशासन गांवों के संग अभियान का पूर्ण बहिष्कार करने का ऐलान कर दिया है. प्रदेशाध्यक्ष विमलेंद्र राणावत ने कहा कि हमारी 7 प्रमुख मांगें हैं.
मांगों को लेकर तय किया समय सीमा
सरपंच संघ के प्रतिनिधिमंडल ने प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर गढ़वाल सहित अन्य प्रतिनिधियों ने कहा कि हमारी ओर से सरकार को 20 सूत्रीय मांगपत्र सौंपा गया है. सरकार की ओर से उस पर कोई समाधान नहीं निकाला जाता है तो 28 तारीख से सरपंच संघ का पूर्ण बहिष्कार आंदोलन शुरू हो जाएगा और 2 अक्टूबर से शुरू होने वाले प्रशासन गांव के संग अभियान का बहिष्कार किया जाएगा. इसके साथ ही कंप्यूटर कार्मिकों ने भी 11 सूत्रीय मांगें नहीं माने जाने पर अभियान का बहिष्कार का ऐलान कर दिया है.
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इसके साथ ही मंत्रालयिक कर्मचारी महासंघ प्रदेशाध्यक्ष मनोज सक्सेना ने 11 सूत्रीय मांगें नहीं माने जाने पर 2 अक्टूबर से आमरण अनशन पर बैठने का ऐलान कर दिया है. मंत्रालयिक कर्मचारी संघर्ष समिति संयोजक गजेंद्र सिंह राठौड़ ने भी 7 सूत्रीय मांगें नहीं माने जाने पर 11 अक्टूबर से प्रांत व्यापी आंदोलन का ऐलान कर दिया है.