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EXCLUSIVE: after Taliban occupation of country, an Afghan said – Afghanistan has become an open prison and we are zombies |EXCLUSIVE: तालिबान के कब्जे पर छलका अफगान का दर्द, बोला- खुली जेल बन गया है देश और हम यहां के Zombies

नई दिल्ली: पिछले महीने अगस्त में जब तालिबान (Taliban) ने काबुल समेत पूरे अफगानिस्तान (Afghanistan) पर कब्जा कर लिया. उसके बाद से जान बचाने के लिए सैकड़ों अफगानियों के काबुल एयरपोर्ट की ओर भागने की तस्वीरें पूरी दुनिया ने देखी. 

इनमें से कई लोग प्लेन के जरिए अफगानिस्तान से बाहर निकलने में कामयाब रहे. वहीं काफी लोग मारे गए. अमेरिकी सेना ने 30 अगस्त को अफगानिस्तान छोड़ दिया. जिसके बाद अफगानियों के देश से निकलने की उम्मीदें खत्म हो गईं और वे हमेशा के लिए क्रूर तालिबान के शासन में जीने को मजबूर हो गए. 

ज़ी मीडिया ने तालिबान (Taliban) से भागने की कोशिश कर रहे ऐसे ही एक अफगानी आमिर (बदला हुआ नाम) से बात करके अफगानिस्तान के हालात जानने की कोशिश की. साथ ही तालिबान के अधीन जीवन जी रहे अफगानियों की मनोस्थिति जानने का भी प्रयास किया. 

‘काबुल से भागकर पहुंचे पंजशीर घाटी’

ज़ी मीडिया: आपने अफगानिस्तान (Afghanistan) से भागने की कोशिश की लेकिन भाग नहीं पाए. अब आप और आपका बाकी परिवार अलग-अलग जगहों पर छिपा हुआ है. तालिबान ने आपके घर पर कब्जा कर लिया है. आपको अफ़ग़ानिस्तान छोड़ने से किसने रोका. इसका परिवार पर क्या असर पड़ा? 

आमिर: हां, हमने काबुल से भागने की कोशिश की. इसकी वजह ये थी कि हमारा परिवार, खासतौर पर मेरे पिता और भाई अफगान आर्मी से जुड़े थे. जब तालिबान ने काबुल पर कब्जा कर लिया तो हम बचने के लिए पंजशीर चले गए. जब तालिबान (Taliban) ने वहां पर भी कब्जा कर लिया तो हम बचने के लिए फिर काबुल आ गए. फिलहाल हम काबुल शहर के अंदर छिपे हुए हैं. परिवार का हरेक व्यक्ति अलग-अलग इलाकों में रह रहा है. हमारी तरह हजारों दूसरे लोग भी ऐसे ही रह रहे हैं. सही कहूं तो पूरा अफगानिस्तान (Afghanistan) अब एक खुली जेल बन गया है. हम काबुल में रहने वाले जीते-जागते zombies बन गए हैं.

ज़ी मीडिया: आप पंजशीर के रेजिस्टेंस फोर्स के समर्थक हैं. हाल ही में आप पंजशीर छोड़कर फिर काबुल आ गए हैं. आपने यह यात्रा कैसे की. 

आमिर: पंजशीर घाटी के तालिबान (Taliban) के कब्जे में आने के बाद हमने काबुल वापस आने के लिए यात्रा शुरू की. हम दारा जिले से पहाड़ों पर चढ़े, और फिर नेजरब जिले में उतरे. वहां से काबुल शहर पहुंचने के लिए डेढ़ दिन यानी 80 किमी की दूरी तय की. अब हम काबुल में रह तो रहे हैं लेकिन हमारी जिंदगी नरक बनी हुई है. किस दिन हमें पकड़कर मार दिया जाएगा, हमें नहीं पता. 

‘तालिबान ने महिलाओं को काम से रोका’

ज़ी मीडिया: आपके परिवार की महिला सदस्य और यहां तक ​​कि महिला मित्र भी डरी हुई हैं. उनका जीवन कैसे गुजर रहा है. 

आमिर: मेरे परिवार की कुछ महिला सदस्य जैसे मेरे भाई-बहन, मेरी पत्नी और मेरे दोस्त, सभी को नौकरी या पढ़ाई करने से रोक दिया गया है. मुझे लगता है कि महिला कर्मचारियों को बैन करने से अफगानिस्तान फिर से तालिबान शासन के 90 के दशक में पहुंच जाएगा. अफगानिस्तान में महिलाओं की स्थिति बहुत खराब है. उन्हें हर जगह दबाने की कोशिश की जा रही है. 

ज़ी मीडिया: आपने बताया कि आपके परिवार के सदस्यों ने वर्षों से विभिन्न दूतावासों में सेवा की है. वे सब अब छिपे हुए हैं. उनका जीवन कैसा चल रहा है?

आमिर: मेरे परिवार के सदस्य दूतावासों में काम करते थे. अब हम सब अपनी जान बचाने के लिए छिपे हुए हैं. हमें लगता है कि हमें दूतावासों की नौकरियों से हाथ धोना पड़ेगा. तालिबान के लोग हमें जान बख्शने का आश्वासन देकर सामने आने की बात कह रहे हैं. लेकिन हमें उन पर भरोसा नहीं है. पहले भी वे इसी तरह झांसा देकर लोगों को मारते रहे हैं. 

‘भारत एक महान लोकतांत्रिक देश’

ZEE MEDIA: आपने भारत में काफी सालों तक पढ़ाई करने का जिक्र किया. वह अनुभव आपके लिए कैसा रहा? आपने अपने प्रवास के दौरान जिन दोनों देशों का अवलोकन किया उनमें मुख्य अंतर क्या है?

आमिर: मैंने भारत से ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन कर रखा है. भारत एक ऐसा देश है, जिसमें कई धर्म, कई जातियां और कई भाषाएं हैं. इसलिए वे एक दूसरे के साथ कंधे से कंधा मिलाकर रह रहे थे. वे अपने राष्ट्र को महान बनाने की कोशिश कर रहे हैं. अगर मैं भारत और अफगानिस्तान (Afghanistan) की तुलना करूं तो आप देखेंगे कि अफगानिस्तान भी एक अत्यधिक विविधता वाला देश है. वहां भी मुसलमान, हिंदू और यहूदी अफगानिस्तान में साथ रहते हैं. लेकिन अफगानिस्तान में अब कट्टरपंथी मुसलमानों के एक समूह ने देश पर कब्जा कर लिया है. जिससे हर इंसान सहमा हुआ है. 

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‘भारतीयों से मिल रहे प्रोत्साहन के संदेश’

ज़ी मीडिया: क्या आपको अपने भारतीय मित्रों से कोई समर्थन या प्रोत्साहन के शब्द मिले हैं?

आमिर: हां, मेरे भारतीय दोस्त मुझे लगातार फोन और मैसेज कर रहे हैं. वे पूछ रहे हैं कि यहां स्थिति कैसी चल रही है. विशेष रूप से मेरे सहपाठी, मेरे शिक्षक, मेरे कॉलेज के मित्र और यहां तक ​​कि वे मित्र भी जिनसे मैं भारत में कॉफी की दुकानों पर मिलता था. वे मेरा हाल चाल पूछ रहे हैं. मैं वास्तव में भारत के लोगों का शुक्रगुजार हूं, खासकर जो इस संकट की घड़ी में मेरे साथ बने हुए हैं. वे मुझसे अपना ख्याल रखने और अंडरग्राउंड रहने का अनुरोध कर रहे हैं. इस समर्थन और प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, भारत.

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