सबकी खबर , पैनी नज़र

Focus on studies, not filing petitions the Supreme Court advised a Class 12th student | अपनी पढ़ाई पर ध्यान दो, सुप्रीम कोर्ट ने 12वीं के स्टूडेंट को क्यों दी ऐसी सलाह

नई दिल्ली: कोरोना की वजह से लागू हुए लॉकडाउन के बाद कई दिनों तक देशभर के स्कूल बंद रहे जिन्हें अब खोलने की मांग हो रही है. ऐसी ही मांग को लेकर क्लास 12th का एक स्टूडेंट सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया और फिर 17 वर्षीय छात्र को सुप्रीम कोर्ट ने सलाह देते हुए कहा कि संवैधानिक उपायों की मांग करने के बजाय वह अपनी पढ़ाई पर ध्यान दे.

‘प्रचार का हथकंडा नहीं, भ्रमित है याचिका’

सर्वोच्च अदालत ने कहा कि वह छात्र की याचिका को प्रचार का हथकंडा नहीं कहेगी लेकिन यह एक भ्रमित याचिका है और बच्चों को ऐसे मामलों में शामिल नहीं होना चाहिए. न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना की बैंच ने याचिका पर विचार करने से इनकार करते हुए कहा कि दिल्ली का छात्र राज्य सरकार के सामने अपनी मांग रख सकता है.

बैंच ने वकील रवि प्रकाश महरोत्रा से कहा, ‘अपने मुवक्किल से कहिए कि स्कूल में पढ़ाई पर ध्यान दे और संवैधानिक उपायों की मांग करने में समय नहीं गंवाए.’बैंच ने ने कहा, ‘अनुच्छेद 21 a के लागू होने के बाद, इसने राज्य सरकारों को 6 से 14 साल के बीच के सभी बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा देने के लिए बाध्य किया है, आप देखते हैं कि सरकारें जवाबदेह हैं.’

संक्रमण का खतरा अभी बरकरार

कोर्ट ने आगे कहा कि वे बच्चों के स्कूलों में वापस जाने की जरूरत के बारे में भी चिंतित हैं. यही स्कूलों का मकसद है. हम न्यायिक फरमान के तहत यह नहीं कह सकते कि आपको अपने बच्चों को स्कूल वापस भेजना चाहिए और इस बात से बेखबर नहीं रह सकते कि क्या खतरे हो सकते हैं. बैंच ने कहा कि देश अभी कोविड की दूसरी लहर से बाहर निकला है और संक्रमण बढ़ने की आशंका अभी खत्म नहीं हुई है.

सुप्रीम कोर्ट की बैंच ने कहा, ‘मैं यह नहीं कह रहा हूं कि यह अनिवार्य रूप से होगा ही या यह उसी तरह विनाशकारी होगा. सौभाग्य से, अब हमारे पास ऐसी रिपोर्ट हैं जो बताती हैं कि संक्रमण उस नेचर का नहीं होगा. वैक्सीनेशन हो रहा है लेकिन बच्चों का वैक्सीनेशन नहीं हो रहा है, यहां तक ​​कि कई शिक्षकों को भी वैक्सीन नहीं लगी होगी. हम यह नहीं कह सकते कि सभी बच्चों को स्कूल भेजें, ये शासन से जुड़े मुद्दे हैं.’

ये भी पढ़ें: उमा भारती का विवादित बयान, ‘ब्यूरोक्रेसी कुछ नहीं होती, चप्पल उठाती है हमारी’

कोरोना का असर कम होने के बाद कई राज्यों ने स्कूलों को फिर से खोलने का फैसला किया है हालांकि ऑनलाइन क्लास भी साथ-साथ चलाई जा रही हैं. कुछ राज्य ऐसे भी हैं जहां संक्रमण के केस बढ़ने पर स्कूल बंद भी किए गए थे.

Source link

Leave a Comment