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दृष्टिकोण से विजय तक: भारत किस प्रकार टीबी के विरुद्ध अपनी लड़ाई को नया स्वरूप दे रहा है”जगत प्रकाश नड्डा

इस विश्व टीबी दिवस पर, मैं इस बात पर बहुत गर्व के साथ विचार करता हूँ कि भारत टीबी के खिलाफ़ लड़ाई में किस तरह से अपनी रणनीति को फिर से लिख रहा है। हाल ही में संपन्न 100-दिवसीय सघन टीबी-मुक्त भारत अभियान ने न केवल नवाचार की शक्ति का प्रदर्शन किया है, बल्कि यह भी दिखाया है कि समुदायों को संगठित करना कार्यक्रम संबंधी दृष्टिकोण को बदलने जितना ही महत्वपूर्ण है। यह अभियान 7 दिसंबर 2024 को टीबी के मामलों का पता लगाने में तेज़ी लाने, मृत्यु दर को कम करने और नए मामलों को रोकने के उद्देश्यों के साथ शुरू किया गया था।
100-दिवसीय सघन टीबी-मुक्त भारत अभियान ने टीबी का जल्द पता लगाने के लिए अत्याधुनिक रणनीतियाँ पेश कीं, जिससे यह सुनिश्चित हुआ कि बिना लक्षण वाले लोगों की भी पहचान हो – जिनका अन्यथा निदान नहीं हो पाता – और उनका इलाज किया गया। पोर्टेबल एक्स-रे मशीनों को सीधे उच्च जोखिम वाले व्यक्तियों के पास ले जाया गया, जिनमें मधुमेह, धूम्रपान करने वाले, शराब पीने वाले, एचआईवी से पीड़ित लोग, बुजुर्ग और टीबी रोगियों के घरेलू संपर्क मैंरहनेवाले शामिल थे। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से संचालित एक्स-रे ने संदिग्ध टीबी मामलों को तुरंत चिह्नित किया, और स्वर्ण-मानक न्यूक्लिक एसिड एम्पलीफिकेशन टेस्ट (NAAT) का उपयोग करके पुष्टि की गई। इन प्रयासों ने सुनिश्चित किया कि संक्रामक मामलों की पहचान की गई और उनका जल्दी से इलाज किया गया, जिससे संक्रमण पर लगाम लगी और लोगों की जान बचाई गई। यह अभियान देश के कोने-कोने तक पहुँचा, जिसमें वे लोग जिनमें टीबी का खतरा अधिक है के 2.97 करोड़ लोगों की जाँच की गई। इस गहन प्रयास के कारण 7.19 लाख टीबी रोगियों की पहचान की गई, जिनमें से 2.85 लाख मामले बिना लक्षण वाले थे और इस अभिनव दृष्टिकोण के बिना अन्यथा छूट जाते, जिससे टीबी संक्रमण की श्रृंखला टूट गई। यह सिर्फ़ एक मील का पत्थर नहीं है – यह एक महत्वपूर्ण मोड़ है।       टीबी मुक्त भारत अभियान: एक जन आंदोलन लेकिन असली गेम-चेंजर सिर्फ़ तकनीक नहीं थी – यह समुदायों की अभूतपूर्व लामबंदी थी। टीबी उन्मूलन अब जनभागीदारी द्वारा संचालित एक जन आंदोलन है। पूरे भारत में 13.46 लाख से ज़्यादा निक्षय शिविर आयोजित किए गए, जहाँ माननीय सांसदों, विधायकों और पंचायतीराजसंस्थाएं और शहरी स्थानीय निकाय के प्रतिनिधियों सहित 30,000 से ज़्यादा निर्वाचित प्रतिनिधियों ने 100 दिवसीय टीबी मुक्त भारत अभियान का समर्थन किया। कॉरपोरेट पार्टनर और आम नागरिक इस अभियान में शामिल हुए, जिससे यह विचार मज़बूत हुआ कि टीबी उन्मूलन सिर्फ़ सरकार की ज़िम्मेदारी नहीं बल्कि एक सामूहिक मिशन है। और इस मिशन में जनभागीदारी का उदाहरण राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में देखा गया, जहाँ 22 संबंधित मंत्रालयों में टीबी जागरूकता, पोषण किट वितरण, टीबी मुक्त भारत के लिए शपथ लेने जैसी 35,000 से ज़्यादा गतिविधियाँ की गईं। इसी तरह सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, व्यापार संघों, व्यावसायिक संघों, स्वैच्छिक संगठनों के साथ 21,000 से अधिक गतिविधियाँ आयोजित की गईं और 78,000 शैक्षणिक संस्थानों में 7.7 लाख से अधिक छात्रों ने टीबी जागरूकता और संवेदीकरण गतिविधियों में भाग लिया। जेलों, खदानों, चाय बागानों, निर्माण स्थलों और कार्य स्थलों जैसे सामूहिक स्थानों पर 4.17 लाख से अधिक संवेदनशील आबादी की स्क्रीनिंग और परीक्षण किया गया। अभियान अवधि के दौरान त्यौहारों पर 21,000 से अधिक टीबी जागरूकता गतिविधियाँ आयोजित की गईं, जिनमें धर्म आधारित नेताओं और सामुदायिक प्रभावशाली लोगों को शामिल किया गया।