




दर्द दिल का खट्टा मीठा होता है
ये किसी किसी को होता है
लेकिन होता है जिसे
बड़ा वो खुशनसीब होता है
महसूस कर पाए इस दर्द को
सबका नसीब कहां होता है
होती है अजीब हालत इसमें
कभी वो हंसता है कभी रोता है
मिलता है दिन में उससे
रात को फिर मिलने का इंतज़ार होता है
दिन में मनाता है ख़ुशी
और रातों में जुदाई के ग़म में बेज़ार होता है
दवा से इलाज नहीं है इस दर्द का
महबूब का दीदार ही दवा होता है
वो ख़ुद भी मजबूर हो जाता है
मुआ, हकीम जब, इस दर्द का शिकार होता है
आंखों को सामने उसका चेहरा चाहिए
कानों को मीठी आवाज़ का इंतज़ार होता है
चाहकर ये कभी होता नहीं किसी को
होता है तभी जब उसका दीदार होता है
सपना भी हक़ीक़त से कम नहीं होता है
जब महबूब का चेहरा सामने होता है
दर्द ग़ायब हो जाता है आते ही सामने उसके
कुछ और नहीं, वो वक़्त क़यामत का होता है
गुज़ारा नहीं है ज़िंदगी का इस दर्द के बिना
इसलिए हर कोई महबूब की तलाश में होता है
मिलते ही खो जाता है वो अपनी ही दुनिया में,
इस दर्द में वो मज़ा है जो कहीं और नहीं होता है।