Bokaro: कोरोना की तीसरी लहर को देखते हुए बोकारो के सदर अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट बनकर तैयार हो गया हैं. ऐसे में पूरे जिले को सप्लाई करने के लिए अब बोकारो जिले में जहां ऑक्सीजन प्लांट बना, वहीं, RTPCR लैब भी बोकारो में सेक्टर 5 में बनकर तैयार हो गयी है. यानी अब जिले में ना ऑक्सीजन का अभाव होगा और ना ही टेस्टिंग के लिए कोई भी सैंपल को बाहर भेजकर रिपोर्ट के लिए लंबा इंतजार करना पड़ेगा.
ऑक्सीजन प्लांट बनकर हुआ तैयार
दरअसल, अभी कोविड-19 की तीसरी लहर की आशंका जताई जा रही है और माना जा रहा है कि इससे बच्चे सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे. वहीं, अस्पतालों में वायरल फीवर से ग्रसित बच्चों की भीड़ भी देखी जा रही है. इसी बीच बोकारो के सदर अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट (Oxygen Plant) बनकर पूरी तरह से तैयार हो चुका है, बस अब उद्घाटन होना बाकी है. इसको लेकर टेस्टिंग भी की गई और देखा गया की प्लांट किस तरह से काम कर रहा है.
PM केयर फंड से लगाया गया है प्लांट
पीएम केयर्स फंड से स्थापित होने वाले ऑक्सीजन प्लांट ने बोकारो सदर अस्पताल में काम करना शुरू कर दिया है. 1000 लीटर प्रति मिनट ऑक्सीजन उत्पादन करने वाले इस ऑक्सीजन प्लांट को निजी क्षेत्र की कंपनी लार्सन एंड टर्बो ने स्थापित किया है, जबकि आक्सीजन प्लांट का डिजाइन रक्षा शोध और विकास संस्थान (DRDO) ने डेवलप किया है. राज्य के 24 जिलों में से 9 जिलों में पीएसए ऑक्सीजन प्लांट को स्थापित करने का काम लार्सन एंड टर्बो को दिया गया है. इसमें दो प्लांट लगाए गए हैं जिसमें एक में 1000 लीटर और दूसरे में 500 लीटर प्रति मिनट उत्पादन क्षमता है. यानी दोनों को मिलाकर कुल 1500 लीटर उत्पादन क्षमता इस प्लांट के जरिए प्रति मिनट होनी है.
हर मिनट होगा 1500 लीटर से अधिक ऑक्सीजन
इस प्लांट को लगाने वाले इंजीनियर ने जानकारी देते हुए कहा कि हर मिनट दोनों प्लांट 15 सौ लीटर ऑक्सीजन का उत्पादन नेचुरल ऑक्सीजन से करेगा और यह छोटे छोटे सिलेंडरों में भर के जिले के विभिन्न जगहों पर पहुंचाया जा सकता है. इस प्लांट के बनने से अब बोकारो जिले में ऑक्सीजन की कमी दूर हो जाएगी और आने वाले समय में ऑक्सीजन के लिए सदर अस्पताल सहित जिले के अन्य अस्पतालों में अफरा तफरी का माहौल देखने को नहीं मिलेगा.
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क्या है खास?
DRDO के डिजाइन में सबसे बड़ी खास बात यह है कि यह ऑक्सीजन प्लांट (Oxygen Plant) उतना ही ऑक्सीजन का उत्पादन करेगा, जितने की जरूरत होगी. उदाहरण के तौर पर अगर सदर अस्पताल में 10 मरीज ऑक्सीजन सपोर्टेड बेड के सहारे भर्ती हैं तो उनकी खपत के अनुसार ही ऑक्सीजन का उत्पादन होगा. अगर किसी भी बेड पर ऑक्सीजन की जरूरत नहीं हो रही है तो मशीन ऑटोमेटिक एनर्जी सेवर मोड में चली जाएगी. इससे जहां एक ओर ऊर्जा की बचत होगी तो वहीं प्लांट को चलाने में किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं होगी. अगले डेढ़ वर्षो तक लार्सन एंड टर्बो के टेकनीशियन इस ऑक्सीजन प्लांट की देखरेख करेंगे. उसके बाद यदि जिला प्रशासन चाहे तो मशीन के देखरेख का काम लार्सन एंड टर्बो (L&T) या अन्य किसी कंपनी को दे सकता है.
(इनपुट-मृत्युंजय मिश्रा)