सबकी खबर , पैनी नज़र

Panchayat chunav both husband wife file nomination for mukhiya | गांव का मुखिया बनने के लिए पति-पत्नी में छिड़ी ‘जंग’, एक-दूसरे के खिलाफ किया नामांकन

Chapra: बिहार में पंचायत चुनाव के दौरान अजब-गजब मामले देखने को मिल रहे हैं. कई पंचायतों में रिश्तों पर राजनीति भारी पड़ती दिख रही है. ऐसा ही मामला छपरा में देखने को मिला है,  जहां एक पति ने अपनी पत्नी के खिलाफ नामांकन दाखिल करा दिया. मामला सारण जिले के पानापुर प्रखंड का है, जहां पानापुर प्रखंड की पूर्व जिला पार्षद अर्चना सिंह के खिलाफ उनके पति अभिषेक सिंह ने चुनावी मैदान में अपनी दावेदारी पेश कर दी है.

सियासत में रिश्तों की कड़वाहट या चुनाव की रणनीति?
पंचायत चुनाव (Bihar Panchayat Chunav 2021) में पत्नी के खिलाफ पति ने ही मैदान में ताल ठोक दिया है. दरअसल, मढ़ौरा में जिला परिषद के लिए नामांकन शुरू हो चुका है, चौथे चरण में सारण जिले के मसरख और पानापुर प्रखंड में चुनाव होना है. ऐसे में पानापुर प्रखंड की पूर्व जिला पार्षद अर्चना सिंह के खिलाफ उनके पति अभिषेक सिंह ने नामांकन दर्ज कराया है और चुनावी मैदान में उन्हें कड़ी टक्कर देने की तैयारी शुरू कर दी है. 

ये भी पढ़ें-पंचायत चुनाव में पहले चरण में 59.85 फीसदी वोटिंग, आधी आबादी ने दिखाया दम 

नाम वापस लेने का समय बाकी
इससे पहले अभिषेक सिंह पत्नी अर्चना सिंह के चुनाव अभिकर्ता रहे थे. 5 वर्षों के कार्यकाल के बाद अभिषेक ने अपनी पत्नी के खिलाफ नामांकन पर्चा दाखिल कर दिया है.  हालांकि, अभी नामांकन समीक्षा और नाम वापस लेने के समय बाकी है, ऐसे में पति-पत्नी के बीच एक साथ चुनाव मैदान में नामांकन करने को लोग राजनीतिक सेटिंग ही समझ रहे हैं. अब देखने वाली बात यह होगी कि चुनाव मैदान में पत्नी की जगह इस बार पति चुनाव लड़ते हैं या फिर पत्नी ही मैदान में रह जाती हैं .

एक साथ पर्चा दाखिल करने पहुंचे पति-पत्नी
वहीं, अर्चना सिंह और उनके पति अभिषेक सिंह एक साथ नामांकन के लिए पहुंचे तो लोगों को हैरानी हुई. ज़ी मीडिया से बातचीत में पति-पत्नी ने आपसी सहमति और क्षेत्र के विकास की बात कही. दरअसल, नामांकन प्रक्रिया में कई बार कुछ गलतियां हो जाती है और नामांकन रद्द हो जाता है, ऐसे में अपनी दावेदारी बनाए रखने के लिए अक्सर उम्मीदवार अपने परिजनों का भी डमी प्रत्याशी के तौर पर नामांकन कराते हैं. इसीलिए स्थानीय लोग इसे चुनावी पैतराबाजी ही समझ रहे हैं.

(इनपुट-राकेश कुमार सिंह)

Source link

Leave a Comment