नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली के रोहिणी कोर्ट (Rohini Court) में हुए शूटआउट ने कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. क्राइम कंट्रोल के आंकड़ों के उलट अपराध की गहरी जड़ों की गवाही देती यह वारदात भले ही गैंगवार का फिल्मी सीन लगता हो लेकिन असल में इसके पीछे अपराध की दुनिया में बर्चस्व की जंग की पुरानी कहानी है. शुरुआती जांच में पुलिस को पता चला है कि रोहिणी कोर्ट में हुए शूटआउट की साजिश मंडोली जेल से रची गई थी. मंडोली जेल में ही जितेंद्र मान उर्फ गोगी का पुराना दुश्मन सुनील उर्फ टिल्लू बंद है.
टिल्लू ताजपुरिया ने रची साजिश?
जितेंद्र मान उर्फ गोगी व सुनील उर्फ टिल्लू ताजपुरिया के बीच गैंगवार का पुराना इतिहास रहा है. एक के बाद एक दोनों गैंग के सदस्यों की हत्या का सिलसिला जारी रहा. इस गैंगवार के बाद टिल्लू पर शक की सुई घूम रही है. क्योंकि शुरुआती जांच में सामने आ रहा है कि दिल्ली के मंडोली जेल से ही गोगी की हत्या की साजिश रची गई. टिल्लू ताजपुरिया मंडोली जेल के हाई रिस्क वार्ड में बंद है, टिल्लू के कई गुर्गे भी इसी जेल में बंद हैं. गोगी की हत्या का प्लान बनाने के बाद टिल्लू ने जेल के बाहर मौजूद गुर्गों से शूटआउट को अंजाम दिलवाया. दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल की टीम टिल्लू ताजपुरिया से जल्द पूछताछ कर सकती है.
गोगी का ‘सुरक्षा कवच’ कैसे टूटा?
कोर्ट रूम में हुए शूटआउट से सुरक्षा व्यवस्था को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं. आखिर कोर्ट रूम में हथियारबंद बदमाश गोगी को मौत के घाट उतारने में कैसे कामयाब हुए? हालांकि दिल्ली पुलिस का दावा है कि सिक्योरिटी टाइट थी. स्पेशल सेल के मुताबिक दो अलग-अलग यूनिट के करीब 8 पुलिस जवान सिविल ड्रेस में हथियारों से लैस होकर गोगी के साथ मौजूद थे. जबकि दिल्ली पुलिस बटालियन का एक अन्य वाहन, जिसमें करीब 7 से 8 जवान हथियारों के साथ लैश होकर गोगी के साथ मौजूद थे.
8 गोलियां मारने के बाद भी नहीं भरा मन
कुल 15 के आसपास पुलिस जवानों की मौजूदगी में कोर्ट रूम में मौजूद दोनों बदमाशों ने गोगी पर ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी. जानकारी के मुताबिक करीब 8 से ज्यादा गोलियां गोगी को मारी गईं. इसके बाद भी बदमाशों ने फायरिंग जारी रखी. जवाबी कार्रवाई में पुलिस ने भी कई राउंड फायरिंग की और बदमाशों को ढेर करने में कामयाबी मिली.
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कोर्ट में कैसे दाखिल हुए हमलावर
12/12:30 बजे करीब टिल्लू गैंग के शूटर राहुल और मोरिष वकील की ड्रेस में कोर्ट परिसर में दाखिल हुए. गेट नम्बर 4 से वकील की ड्रेस में होने के चलते चेकिंग नहीं की गई. हमले से पहले दोनों बदमाश कोर्ट की सिक्योरिटी की रेकी कर चुके थे. इन्हें पता था कि थर्ड बटालियन की टीम कैदी को लेकर कोर्ट आती है, उसके साथ स्पेशल सेल भी होगी. दोनों शूटर्स ने लिफ्ट की बजाय सीढ़ियों का इस्तेमाल किया और कोर्ट नमंबर 207 में पहुंच कर पहले से बैठ गए और जैसे ही गोगी को लेकर पुलिस टीम अंदर पहुंची पिस्टल से फायरिंग शुरू कर दी.
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