नई दिल्ली: पूर्व केंद्रीय मंत्री और शिवसेना नेता अनंत गीते ने कहा है कि अपनी पार्टी बनाने के लिए कांग्रेस की पीठ में छुरा घोंपने वाले राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) अध्यक्ष शरद पवार शिवसैनिकों के लिए गुरु नहीं हो सकते. उन्होंने यह भी कहा कि शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के गठबंधन वाली महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार सिर्फ एक समझौता है.
एनसीपी ने बताया गैरजरूरी बयान
शिवसेना नेता गीते के इस बयान को लेकर महाराष्ट्र में सियासत गर्मा गई है. एक ओर, विपक्षी दल बीजेपी ने दावा किया कि गीते ने शिवसेना कार्यकर्ताओं के विचार व्यक्त किए तो दूसरी ओर एनसीपी के एक नेता ने कहा कि गीते को दरकिनार कर दिया गया है और उनके बयान पर रिएक्ट करने की जरूरत नहीं है. वहीं, शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा कि शरद पवार सबके नेता हैं.
शरद पवार को महा विकास आघाड़ी सरकार के गठन की नींव और धुरी माना जाता है, जो 2019 के विधान सभा चुनावों के बाद शिवसेना और बीजेपी के बीच संबंधों में खटास के बाद सत्ता में आई. शिवसेना और बीजेपी ने 2014 से लेकर 2019 तक गठबंधन में रहकर सरकार चलाई थी.
आघाड़ी सरकार एक समझौता
अपने गृह क्षेत्र रायगढ़ में सोमवार को एक जनसभा में गीते ने कहा, ‘शरद पवार कभी हमारे नेता नहीं हो सकते क्योंकि यह सरकार (एमवीए) केवल एक समझौता है. लोग पवार के लिए जितनी वाहवाही करें, लेकिन हमारे गुरु सिर्फ (दिवंगत) बालासाहेब ठाकरे हैं.’
अनंत गीते ने आगे कहा, ‘जब तक यह सरकार काम कर रही है, तब तक चलती रहेगी. अगर हम अलग हो गए तो हमारा घर शिवसेना है और हम हमेशा अपनी पार्टी के साथ रहेंगे.’ रायगढ़ के पूर्व सांसद गीते ने कहा कि शिवसेना के नेतृत्व वाली सरकार के प्रति उनकी कोई बुरी मंशा नहीं है और वह चाहते हैं कि यह सरकार चले.
साल 2019 से पहले केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री रहे गीते ने कहा, ‘पवार ने कांग्रेस की पीठ में छुरा घोंपकर अपनी पार्टी बनाई थी. अगर कांग्रेस और एनसीपी एक नहीं हो सकते हैं तो शिवसेना भी पूरी तरह से कांग्रेस की नीति पर नहीं चल सकती. कांग्रेस और एनसीपी के रिश्ते हमेशा से अच्छे नहीं थे.’
कांग्रेस तोड़ ऐसे बनी थी एनसीपी
एनसीपी का गठन 25 मई, 1999 को शरद पवार, पीए संगमा और तारिक अनवर ने किया था, जब उन्हें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) से, इटली में जन्मी सोनिया गांधी के पार्टी के नेतृत्व करने के अधिकार पर विवाद के कारण बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था.
एनसीपी बाद में केंद्र में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकारों का हिस्सा बनी, जिसमें पवार ने कृषि मंत्री के तौर पर काम किया. महाराष्ट्र में भी कांग्रेस और एनसीपी ने 2014 तक सत्ता साझा की. गीते ने 2014 के चुनावों के बाद केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री के रूप में कार्य किया था जब शिवसेना, एनडीए का हिस्सा थी.
अनंत गीते 2019 के लोक सभा चुनावों में अपने एनसीपी प्रतिद्वंद्वी सुनील तटकरे से मामूली अंतर से हार गए. तटकरे की बेटी अदिति वर्तमान में एमवीए सरकार में राज्य मंत्री हैं.
फडणवीस ने साधा निशाना
पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस ने मंगलवार को कहा कि गीते यह कहना चाहते हैं कि महाराष्ट्र में सत्ताधारी गठबंधन नेचुरल नहीं है. पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘मैं यह लंबे समय से कह रहा हूं कि महा विकास अघाड़ी एक अप्राकृतिक गठबंधन है, और यह सरकार नहीं चला सकता, गीते ने भी यही बात कही है.’
बीजेपी के नेता सुधीर मुनगंटीवार ने कहा, ‘अगर शिवसेना के किसी कार्यकर्ता का नार्को टेस्ट किया जाए, तो एनसीपी और कांग्रेस के साथ संबंध तोड़ने की मांग करते हुए उनकी आंतरिक आवाज बाहर आ जाएगी. यह गठबंधन शिवसेना के लिए एक राजनीतिक आत्महत्या है.’
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वहीं 2019 के आम चुनाव में गीते को हराने वाले रायगढ़ से एनसीपी सांसद सुनील तटकरे ने गीते की टिप्पणी को खारिज कर दिया. उन्होंने कहा, ‘गीते को दरकिनार कर दिया गया है, इसलिए हमारे नेता शरद पवार के खिलाफ उनके बयान पर प्रतिक्रिया देने की जरूरत नहीं है. ऐसा लगता है कि वह इस गठबंधन से निराश हैं.’
उन्होंने कहा, ‘उन्हें चेतावनी देना या न देना शिवसेना का आंतरिक मामला है. पवार पूरे राज्य के नेता हैं और यह सरकार मुख्यमंत्री ठाकरे के नेतृत्व में अच्छा प्रदर्शन करती रहेगी.’
राउत ने कही एकजुटता की बात
इससे पहले दिल्ली में शिवसेना के प्रवक्ता और पार्टी के वरिष्ठ नेता संजय राउत ने कहा कि पवार देश के नेता हैं. उन्होंने कहा कि एमवीए सरकार और शिवसेना, कांग्रेस-एनसीपी की व्यवस्था पांच साल तक जारी रहेगी. उन्होंने कहा, ‘मुझे बयान की जानकारी नहीं है, महाराष्ट्र में तीन दलों की एक व्यवस्था है और शरद पवार देश के नेता हैं.’
राउत ने एक सवाल के जवाब में कहा, ‘चाहे वह शरद पवार हों, उद्धव ठाकरे हों या कांग्रेस, सभी ने एमवीए सरकार बनाई है. यह व्यवस्था पांच साल तक चलेगी और इसे पूरे महाराष्ट्र ने स्वीकार किया है’. उन्होंने कहा कि पार्टी के प्रमुख उद्धव ठाकरे शिवसेना के लिए फैसले लेते हैं.