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स्मरण हबीब: 20वां रंग आलाप नाट्य महोत्सववचन निभाकर जीने की सीख देता चरणदास चोर

नया थियेटर की प्रस्तुति चरणदास चोर से हुआ नाट्य समारोह का आगाज़

भोपाल. हम थियेटर द्वारा प्रतिवर्ष हबीब तनवीर की स्मृति में आयोजित होने वाले नाट्य समारोह का शुभारम्भ नया थियेटर के बहुचर्चित नाटक चरणदास चोर के मंचन से हुआ। संस्कृति मंत्रालय नई दिल्ली और मप्र संस्कृति संचालनालय के सहयोग से आयोजित इस नाट्य समारोह में 8 जून से 13 जून 2024 तक प्रतिदिन षाम 7 बजे से शहीद भवन में नाटकों की प्रस्तुति होगी।

कथासार  – 1975 में भारतीय रंगमंच के महान व्यक्तित्व हबीब तनवीर ने विजयदान देथा की कहानी को नाटक ‘‘चरणदास चोर’’ में रूपांतरित किया। चरणदास चोर एक ऐसे चोर की कहानी है,जो आदतन चोर है । नाटक की कहानी चरनदास के  सोने की प्लेट चोरी करने से शुरू होती है । चरनदास एक गांव से सोने की थाली  (ळवसकमद च्संजम) चोरी करके फरार है, जिसके पीछे पुलिस लगी हुई है । पुलिस से बचने के लिए या यूं कहें  पुलिस को चकमा देने के लिए, चरणदास एक गुरुजी के आश्रम में प्रवेश करता हैं और गुरुजी का शिष्य बनने की इच्छा व्यक्त करता है। गुरुजी मान जाते हैं, लेकिन इस शर्त पर कि चरणदास हमेशा सच बोलने का प्रण ले। चरणदास मज़ाक-मजा़क में चार प्रण कर लेता है -(1) ‘‘सोने की थाली में नही खाऊंगा, (2) किसी जुलूस में हाथी-घोड़े पर नही बैठूंगा, (3) कभी किसी देश की रानी से शादी नही करूंगा  और  (4) किसी देश का राजा नही बनूँगा । गुरु जी कहते हैं कि ये चार प्रण तो तुमने अपने मन से किये है ,एक बात गुरु जी की भी मान लो’’। चरनदास पूछता है कि कौन सी बात ? गुरु जी कहते हैं कि झूठ बोलना छोड़ दो। चरनदास पहले तो इस प्रण के लिए ना -नुकुर करता है , लेकिन पुलिस से बचने के चक्कर मे पांचवा प्रण करता है -(5)  मैं कभी झूठ नही बोलूँगा  चरनदास के इन्ही वचनों पर पूरे कथानक का ताना-बाना है ,जो एक एक करके उसकी जिन्दगी में सामने आते हैं और चरनदास अपने वचनों के निर्वहन में मरते दम तक खरा उतरता है।

चरनदास चोर
मंच पर

चरनदास चोर : सतीश व्याम
हवलदार ः     धन्नू लाल सिन्हा
साधू ः           मनहरण गंधर्व
शराबी ः         मन्ना लाल गंधर्व/ईमरान अली
जुआरी ः    सूरज श्याम
गंजेड़ी ः      नवीन श्याम
मालगुजार :  नवीन श्याम
नौकर ः     मन्ना लाल गंधर्व/विनोद टेकाम
सत्तू वाला ः अमर सिंह गंधर्व
पुजारी ः      सूरज श्याम
रानी ः         पारुल सिंह
दासी ः        संगीता सिन्हा/प्रियंबदा/पायल
मंत्री ः        नीरज श्याम
पुरोहित     : रामचन्द्र सिंह
सैनिक 1 ः नवीन श्याम
सैनिक 2 ः अंगद घेते
सैनिक 3 ः सूरज श्याम
सैनिक 4 ः इमरान अली
ग्रामीण: पूरन पंथी पार्टी 12 सदस्य, राधिका गंधर्व, अंगद घेते, प्रियंका सिंह, पारुल सिंह, प्रियंबदा सिन्हा, पायल सिंह, शीतल घुगे, अभिषेक अग्रवाल, पुरुषोत्तम भट्ट, अपूर्वा गुप्ता, भानु पाल ,समीर सिंह ,रोहिणी ,विवेक त्रिपाठी एवं समस्त नया थिएटर कंपनी
ज्ञानदर्शन पंथी पार्टी:- दल प्रमुख – पुरणदास सतनामी ,छत्तीसगढ़
कोरस: अमर सिंह गंधर्व, पारुल सिंह, संगीता सिन्हा, प्रियंबदा सिन्हा, पायल सिंह, राधिका गंधर्व
हारमोनियम: अमर सिंह गंधर्व
तबला: स्वराज श्याम
ढोलक: विनोद टेकाम
मंजीरा:मनहरण गंधर्व

मंच पर  

प्रकाश : धन्नू लाल सिन्हा
वेश भूषा : स्व. मोनिका मिश्रा तनवीर
सेट एन्ड प्रॉप्स : स्व. हबीब तनवीर
कहानी: विजय दान देथा
गीत, संगीत, लेखन व निर्देशन: हबीब तनवीर

इस नाट्य समारोह के पहले ही दिन चरणदस चोर नाट्य प्रस्तुति के पूर्व ही बुक शो हाउस पैक हो गया।

9 जून को अग्नि और बरखा
नाट्य समारोह के दूसरे दिन 9 जून को शाम 7 बजे शहीद भवन में ही समागम रंगमंडल जबलपुर द्वारा गिरिष कारनाड के नाटक अग्नि और बरखा का मंचन स्वाति दुबे के निर्देशन में किया जाएगा।