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सुगना” की कहानी, जिसमें कैसे होनहार सुगना की पढाई में समाज रोक लगाता है और उसपर शादी के लिए दबाव बनाया जाता है।

बाड़मेर में रामसर के एक स्कूल में कक्षा 11 की छात्राओं से बातें करते करते मैंने उन्हें अपने नाटक “सुगना” की कहानी सुनाई, जिसमें कैसे होनहार सुगना की पढाई में समाज रोक लगाता है और उसपर शादी के लिए दबाव बनाया जाता है।

पता है, लड़कियों ने मुझे क्या कहा होगा,,?

लड़कियों ने एक साथ कहा: सर, हम सब सुगना ही तो हैं।

मेरी तो रूह कांप गई।

उक्त घटना का जिक्र इसलिए किया है क्योंकि बाड़मेर में जिस प्रकार का ड्रॉपआउट रेट लड़कियों का है वह वाकई चिंता जनक है।

मैं व्यक्तिगत रूप से बहुत साल पहले से बालिका शिक्षा को लेकर बहुत संवेदनशील रहा हूँ, और लड़कियों के सम्प्रेषण कौषल पर लम्बे समय तक काम भी किया है।

इसी यात्रा का एक अनुभव 8 मार्च 2013 से फरवरी 2019 तक के सफर को एक लेख “महिला सशक्तिकरण” में बहुत संक्षिप्त रूप में लिखने का प्रयास किया है जिसे -जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान, बाड़मेर ने अपनी वार्षिक पत्रिका “मरू आलोक” 2022-23 में प्रकाशित किया है।

इस लेख में यह भी स्पष्ट करने का प्रयास है कि नाट्य प्रकिया कैसे काम करती है और लड़कियों के सम्प्रेषण कौशल में कैसे सहज ही विकास हो जाता है।

आप सभी को प्रेषित है।

सादर
रविन्द्र