सबकी खबर , पैनी नज़र

वक्त और पैसा सुरेंद्र शर्मा

पैसा तो आ भी सकता है
लेकिन वक्त वापिस नहीं आएगा
क्यों पड़ा है पैसे के पीछे
बीत जायेगा जो वक्त कहां से लाएगा

छूट जायेगा सारा पैसा यहीं पर
जब जाने का वक्त तेरा आएगा
हो जायेगा खुद भी राख एक दिन
फिर कुछ भी काम नहीं आएगा

महलों में रहने वाला हो या झोंपड़ी में
अंतिम पड़ाव सबका आएगा
जो करता है इसका सही इस्तेमाल
लेकिन वक्त केवल उसी का आएगा

होता है छोटा सा ये जीवन
पड़कर पैसे के पीछे वक्त न गवां
चाहिए जितना जीने के लिए
तू बस उतना ही धन कमा

जी कर देख जीवन को खुशी से
कुछ पल सुकून के भी देख ले
मिलता है वो सुकूँ जो पैसे से नहीं मिलता
कभी अपनों की आंखों में देख ले

न कर अब और देर समझने में
कहीं वक्त ही न निकल जाए हाथ से
कहीं गुज़र गया जो बचा वक्त है तेरा
फिर बात नहीं बनेगी किसी भी बात से

संभलना पछताने से बेहतर है
जो अब तक हुआ उसे भूल जा
कर नई शुरुआत जीवन की
मिले मौका तो लहरों संग झूल जा

है जीवन में बहुत कुछ करने को
जान जायेगा जब जीवन जीयेगा तू
पा जाएगा पलभर में सदियों का आनंद
जब जाम मोहब्बत का पीयेगा तू

अभी ये ज़िंदगी जी रही है तुझे
इस ज़िंदगी को कब जीयेगा तू
आयेगा जीवन में अलग ही मज़ा
जब वक्त घरवालों को भी देगा तू

जितनी भी कमाओ ये दौलत
कहां किसी को पर्याप्त हुई है
जाकर देख कभी प्रभु के दरबार
वहां हर आत्मा तृप्त हुई है।