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गया में किस दिन करना चाहिए किसका श्राद्ध, 7 points में मिलेगी पूरी जानकारी| Hindi News, गया

Patna: भारत देश की सनातनी परंपरा अनमोल है. यहां अगर भविष्य सुधारने की कोशिश है तो भूतकाल से सबक लेने का मंत्र भी है. इसी की याद दिलाता है श्राद्ध पक्ष.

गया में जारी है श्राद्ध
आश्विन मास में कृष्ण पक्ष की शुरुआत के साथ श्राद्ध पक्ष की शुरुआत हो जाती है. इस वक़्त श्राद्ध पक्ष चल रहा है और गया में पितरों को पानी देने के लिए लोग जुट रहे हैं. पिंड दान और तर्पण पूरी तरह सनातनी प्रक्रिया है, इसे करने में पूरी सावधानी रखनी चाहिए.

श्राद्ध का अर्थ है श्रद्धा से तर्पण करना. ऐसे में ये भी जानना जरूरी है कि किस दिन किसका श्राद्ध करना चाहिए.

जरूरी है श्राद्ध करना
जब कन्या राशि में सूर्य प्रवेश करते हैं तब सभी पितृ अपने पुत्र- पौत्रों (पोतों) यानि कि अपने वंशजों के घर पधारते हैं. ऐसे में आश्विन अमावस्या जो पितृपक्ष के दौरान आती है, उस दिन तक पितरों का श्राद्ध नहीं किया जाये तो हमारे पितृ दुखी होकर और अपने वंशजों को श्राप देकर वापस अपने लोक को लौट जाते हैं. इसलिए अपने पितरों को नाराज न करने और उनका आशीर्वाद अपने जीवन पर बनाए रखने के लिए अपनी यथासामर्थ उन्हें फूल, फल और जल आदि के मिश्रण से तर्पण देना चाहिए और उनकी तृप्ति के लिए पूजा अर्चना आदि करना चाहिए.

1. जिन जातकों की अकाल मृत्यु हुई होती है उनका श्राद्ध चतुर्दशी को करना चाहिए.
2. विवाहित स्त्रियों का श्राद्ध नवमी तिथि को करना चाहिए.
3. नवमी तिथि को माता के श्राद्ध के लिए भी शुभ माना जाता है.
4. सन्यासी पितरों का श्राद्ध द्वादशी तिथि को किया जाता है.
5. नाना नानी का श्राद्ध आश्विन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को करना चाहिए.
6. अविवाहित जातकों का श्राद्ध पंचमी तिथि को करना चाहिए.
7. सर्वपितृ अमावस्या यानी आश्विन कृष्ण पक्ष की अमावस्या के दिन उन सभी लोगों का श्राद्ध किया जाना चाहिए जिनकी मृत्यु की तिथि ज्ञात ना हो.

लग सकता है पितृ दोष
कई बार अनजाने में किसी भूलवश कुछ ऐसी गलतियां हो जाती हैं जिससे व्यक्ति के जीवन में पितृ दोष जैसे गंभीर दोष जगह बना लेते हैं. पितृ दोष से पीड़ित व्यक्ति को नौकरी और व्यापार में हमेशा घाटे और तमाम तरह के नुकसान का सामना करना पड़ता है. ऐसे व्यक्तियों के जीवन में बार बार बाधा आने लगती है और जिन व्यक्तियों की कुंडली में पितृ दोष होता है उनके घर में कलह कलेश बढ़ जाता है. ऐसे व्यक्तियों के घर में सुख समृद्धि नहीं टिकती है और व्यक्ति हमेशा गरीबी और दरिद्रता में अपना जीवन यापन करता है.

 

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