महंत नरेंद्र गिरी ने अपने कथित सुइसाइड नोट में यह इच्छा जताई थी कि उन्हें बाघंबरी मठ में ही उनके गुरु की समाधि के बगल में भू-समाधि दी जाए. उनके निर्देश के अनुसार बाघंबरी मठ में नींबू के पेड़ के नीचे उन्हें भू-समाधि दी गई. नींबू के इस पेड़ को महंत नरेंद्र गिरी ने ही अपने हाथों से लगाया था.
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