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Engineers Day 2021 M Visvesvaraya birth Anniversary History of Engineering

नई दिल्ली: वर्ष 1860 में आज ही के दिन देश के जाने माने इंजीनियर एम. विश्वे-श्वरैया (M. Visvesvaraya) का जन्म हुआ था. ये बात लगभग उसी दौर की है, जब भारत को उसका पहला इंजीनियरिंग कॉलेज मिला था. इस कॉलेज का नाम Thomason Engineering College था, जो वर्ष 1847 में रुड़की में बन कर तैयार हुआ और बाद में इसी कॉलेज को IIT रुड़की के नाम से जाना गया. एम. विश्वे-श्वरैया के जन्मिदन को इंजीनियर्स डे (Engineer’s Day) के तौर पर मनाया जाता है. इंजीनियर्स डे पर इंजीनियरिंग के प्रति पैशन और आज के हालात पर चर्चा जरूरी है. 

इंजीनियर्स के लिए खास है 1990 का दशक

15 अगस्त 1947 को जब भारत आजाद हुआ, तब देश में केवल 44 इंजीनियरिंग कॉलेज थे. आजादी के बाद देश के नेताओं का ध्यान सोशल इंजीनियरिंग में था और देश के लोगों का ध्यान सोशल लाइफ की इंजीनियरिंग में. यानी तब तक भारतीय परिवारों में अपने बच्चों को इंजीनियर बनाने की रेस शुरू नहीं हुई थी. ये ट्रेंड 1990 के दशक में शुरू हुआ, जब देश के बहुत सारे माता पिता का एक ही सपना होता था, अपने बच्चे को इंजीनियर या फिर डॉक्टर बनाना और कई माता पिता तो आज भी ये सपना देखते हैं.

पूरे भारत में कितने हैं इंजीनियरिंग कॉलेज? 

उस समय बच्चों के माता पिता उनके स्कूल के दिनों से ही पैसा जोड़ना शुरू कर देते थे, ताकि बड़े होकर उनकी पढ़ाई में कोई दिक्कत ना आए. आप कह सकते हैं कि 1990 और 2000 के दशक में ये सपना कई माता पिता के दिल के करीब था और शायद यही वजह है कि इसी दौर में सबसे ज्यादा इंजीनियरिंग कॉलेज बने. 1995 से 1996 के बीच देश में सिर्फ 355 इंजीनियरिंग कॉलेज थे. लेकिन 2008 से 2009 के बीच इन कॉलेजों की संख्या 2 हजार 237 हो गई और आज पूरे भारत में 3 हजार से ज्यादा इंजीनियरिंग कॉलेज हैं.

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दुनिया के हर 100 में से 25 इंजीनियर भारत के

इंजीनियर बनने के सपने ने ही भारत को दुनिया में सबसे ज्यादा इंजीनियर पैदा करने वाला देश बनाया. आज दुनिया के हर 100 में से 25 इंजीनियर भारत के ही हैं. Microsoft, Google और IBM के CEO भारतीय मूल के ही हैं और ये सभी इंजीनियर हैं. 1990 और 2000 के दशक में इंजीनियर बनने का जो सपना सबसे आम हुआ करता था, वो आज धूमिल पड़ा है. इंजीनियरिंग के सपनों का कारोबार करने वाले लोगों ने देश में प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेज तो खोले लेकिन ये नौकरियां नहीं दे पाए.

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रामायण में भी इंजीनियरिंग का शानदार नमूना 

एक स्टडी के मुताबिक आज भी देश के 50 प्रतिशत इंजीनियरिंग कॉलेज बच्चों को नौकरी देने में असफल हैं. आज भी देश में लाखों बच्चे इंजीनियरिंग कर रहे हैं लेकिन इंजीनियर बनने का सपना पहले जैसा नहीं है. जबकि पहले कई युवाओं के लिए सिविल इंजीनियरिंग बिल्डिंग निर्माण से ज्यादा, देश निर्माण हुआ करती थी. इंजीनियरिंग का एक शानदार नमूना रामायण में भी मिलता है, जिसे हम राम सेतु कहते हैं. ये सेतु श्री राम और उनकी वानर सेना द्वारा रावण की लंका तक पहुंचने के लिए बनाया गया था.

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