सोलन: बद्दी में ज़िला स्तरीय अंतरराष्ट्रीय दिव्यांगजन समारोह आयोजित स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता तथा श्रम एवं रोज़गार मंत्री कर्नल डॉ. धनीराम शांडिल ने कहा कि प्रदेश सरकार दिव्यांगजनों के सशक्तिकरण एवं इन तक विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के लाभ समय पर पहुंचाने के लिए कृतसंकल्प है। डॉ. शांडिल आज सोलन ज़िला के बद्दी में आयोजित ज़िला स्तरीय अंतरराष्ट्रीय दिव्यांगता दिवस समारोह की अध्यक्षता कर रहे थे।डॉ. शांडिल ने कहा कि दिव्यांग का अर्थ यह नहीं कि वे किसी से कमज़ोर हैं बल्कि दिव्यांगजन में आम लोगों की तुलना अधिक आत्मबल और इच्छा शक्ति होती है। कोई भी दिव्यांग अपने आप को दिव्यांग न समझे बल्कि अपने आत्मबल के माध्यम से जीवन में सदैव ऊंचा उठने का प्रयास करें।
समाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार ने दिव्यांगजनों के लिए अवसर सृजित करने के लिए कई कदम उठाए हैं ताकि वह आगे बढ़ सकें। उन्होंने कहा कि सभी के साथ अच्छा व्यवहार आवश्यक है। दिव्यांगजनों को आत्मविश्वास और आत्मबल प्रदान करने में अच्छा व्यवहार ज़रूरी है। उन्होंने कहा कि दिव्यांग व्यक्ति का जीवन साधारण होता हैं हमें उनका मार्गदर्शन करना चाहिए।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि सरकार द्वारा ज़िला सोलन में दिव्यांग राहत भत्ता (पेंशन) के तहत 4537 पात्र दिव्यांगजनों को लगभग 3.65 करोड़ रुपए की राशि प्रदान की गई हैं। उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी अपंग राहत भत्ता के 119 लाभार्थियों को लगभग 12.09 लाख रुपए की राशि तथा 79 दिव्यांग छात्रों को लगभग 07.74 लाख रुपए की राशि प्रदान की जा चुकी है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा दिव्यांगों को सरकारी नौकरी में 04 प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा है ताकि इनका जीवन बेहतर बन सके।
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सरकार के गठन के तुरंत बाद अपने पहले निर्णय में समाज के संवेदनशील आश्रित वर्ग का सहारा बनने का संकल्प लेते हुए मुख्यमंत्री सुखाश्रय योजना आरम्भ की। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार 27 वर्ष तक के अनाथ बच्चों को 4,000 रुपये मासिक जेब खर्च, कोचिंग के लिए एक लाख, तीन बिस्वा भूमि और मकान निर्माण के लिए 03 लाख रुपये, विवाह के लिए दो लाख रुपये का अनुदान और सूक्ष्म व लघु उद्योग लगाने के लिए दो लाख रुपये का अनुदान प्रदान कर रही है। सुखाश्रय योजना के तहत मुख्यमंत्री सुखाश्रय कोष का भी गठन भी किया गया है जिसमें लगभग 04 हजार से अधिक बेहसहारा बच्चों को चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट के रूप में अपनाया गया है।