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December 2, 2025 6:17 pm

हिमालयन वन अनुसंधान संस्थान, शिमला द्वारा “ओक प्रजातियों की बीज, नर्सरी एवं रोपण तकनीक पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम

शिमला: अन्म हितधारकों के लिए 22 से 24 अक्तूबर, 2025 को हिमालयन वन अनुसंधान संस्थान, शिमला में आयोजित किया जा रहा है।। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के शुभारंभ में प्रशिक्षण कार्यक्रम के समन्ध्यक वैज्ञानिक पीताम्बर सिंह नेगी ने मुख्य अतिथि डा० संदीप शर्मा, निदेशक-लिंक, हिमालयन वन अनुसंधान संस्थान, शिमला, प्रभाग प्रमुखों, वैज्ञानिको, अधिकारियों एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम में आए पंचायतों के सदस्य, हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, राजकीय महाविद्यालय, संजौली एवं सेंट बेड्स कॉलेज, शिमला से आए छात्रों, इको-टास्क फोर्स के सैनिकों और त्रिदेव औषधिये पौधे उत्पादन सोसायटी, रोहडू के सदस्यों का स्वागत एवं अभिनंदन किया। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में बान की पाँच प्रजातियाँ पाई जाती है और इन प्रजीतियों का सामाजिक, आर्थिक, एवं पारिस्थितिकी की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि यह तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम भारत सरकार की पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा वित पोषित किया गया है। तत्पश्चात उन्होंने सभागार में मौजूद प्रशिक्षिणार्थियों के समक्ष तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का रूपरेखा प्रस्तुत किया। इस के उपरांत हिमालयन वन अनुसंधान संस्थान, शिमला के निदेशक-लिंक डा० संदीप शर्मा ने तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभकिया और प्रशिक्षण कार्यक्रम में आए समस्त प्रशिक्षिणार्थियों का स्वागत एवं संबोधित किया गया। उन्होंने अपने सम्बोधन में कहा की ओक प्रजातियाँ चारा, जलावन की लकड़ी, एवं अन्म उत्पाद मुहैया करवाती है। उन्होंने कहा कि यह प्रशिक्षण कार्यक्रम अन्य हितधारकों के लिए अत्यंत लाभप्रद सिद्ध होगी, क्यों की इस प्रशिक्षण के दौरान प्रशिक्षिणार्थियों को बान प्रजातियों की बिभिन्न पहलुओं पर वैज्ञानिको द्वारा विस्तृत जानकारी दी जाएगी। अन्त में उन्होंने ये भी आग्रह किया की प्रशिक्षिणार्थी अपने क्षेत्र में जा कर स्थानिये समुधायों को इस बारे में अवगत करवाएँ, ताकि इन का संरक्षण हो सके। इस तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में 30 प्रशिक्षिणार्थी भाग ले रहें है। अन्त में श्री. जवाला प्रसाद, मुख्या तकनिकी अधिकारी ने मुख्य अतिथि, वैज्ञानिकों, अधिकारियों एवं सभागार में मौजूद समस्त प्रशिक्षिणार्थियों एवं कर्मचारियों का तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल होने के लिए धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया। इस के अलावा उन्होंने ने पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय का भी तहे दिल से आभार व्यक्त किया कि उन्होंने हिमालयन वन अनुसंधान संस्थान, शिमला को इस तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए चुना एवं वितिय सहायता प्रधान की गई प्रशिक्षण के पहले दिन तकनीकी सत्र के दौरान संस्थान से सेवानिवृत वैज्ञानिक डा. वनीत जिशतु ने “हमारे पारिस्थितिकी तंत्र में ओक्स की भूमिका” विषय पर प्रस्तुति दी। इस के बाद संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं निदेशक-लिंक डा० संदीप शर्मा, ने “आधुनिक नर्सरी तकनीक का गुणवत्तापूर्ण रोपण स्ट्रॉक में भूमिका” विषय पर अपना वयाखान दिया। तत्पश्चात डा० अश्वनी टपवाल, वैज्ञानिक ने “ओक्स के रोग और उनका पर्यावरण-अनुकूल प्रबंधन ” विषय पर अपना वयाखान दिया। तत्पश्चात डा. शिव पाल ने “हिमालयन ओक्सः वितरण, उपयोग और संरक्षण आवश्यकताएँ” विषय पर विस्तृत प्रस्तुति दी। इस के बाद वैज्ञानिक पीताम्बर सिंह नेगी ने प्रशिक्षिणार्थियों के समक्ष ” ओक प्रजाति की “बीज, नर्सरी एवं रोपण तकनीक” विषय पर विस्मृत प्रस्तुति दी। पहले दिन तकनीकी सत्र के अंत में डा. बाल कृष्ण तिवारी, वैज्ञानिक ने “उत्तर-पश्चिमी हिमालय में ओक प्रजातियों की आनुवंशिक विविधता और जनसंख्या संरचनाः संरक्षण और आनुवंशिक सुधार के लिए निहितार्थ” विषय पर विस्तृत प्रस्तुति दी।