एजी ऑफिस में पांचवे लेखा सप्ताह का आयोजन*
*ऑडिट का मतलब केवल आपत्तियां करना नहीं है- महानिदेशक, एस आलोक*
शिमला 21 नवंबर 2025। राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने कहा कि वित्तीय व्यवस्था को पारदर्शी और जनहितकारी बनाने में लेखा विभाग की महत्वपूर्ण भूमिका है यह विभाग अपनी तथ्य आधारित रिपोर्ट और विभागों को वित्तीय सुझावों के जरिये लोक कल्याणकारी सुशासन की आधारशिला का काम करता है। राज्यपाल आज पांचवें लेखा सप्ताह (ऑडिट वीक) के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम का आयोजन भारतीय लेखा एवं लेखा परीक्षा विभाग (IA&AD) द्वारा शिमला के गॉर्टन कैसल भवन परिसर (ए.जी. कार्यालय) में किया गया। ऑडिट वीक 2025 का आयोजन विभाग की राष्ट्रीय लेखा एवं लेखा परीक्षा अकादमी, प्रधान महालेखाकार (ऑडिट) और प्रधान महालेखाकार (लेखांकन एवं अनुश्रवण) द्वारा किया जा रहा है।
राज्यपाल ने कहा कि लेखा विभाग लोकतंत्र का एक अनिवार्य स्तंभ है जो जवाबदेही, सुशासन, सार्वजनिक संस्थानों का विधि हित और जनहित में इस्तेमाल सुनिश्चित करता है। हिमाचल प्रदेश जैसे पर्वतीय और विकासशील राज्य की वित्तीय व्यवस्था को पारदर्शी और सुचारू बनाए रखने में इस विभाग का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि हमारे राज्य में भौगोलिक, संरचनात्मक, पर्यावरण जोखिम और आपदाओं से जुड़ी चुनौतियां अधिक जटिल है ऐसे में ऑडिट की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती ताकि योजनाओं और परियोजनाओं का प्रभाव जमीनी स्तर पर सही रूप में नागरिकों तक पहुंच सके। राज्यपाल ने लेखा विभाग में आधुनिकीकरण की प्रक्रिया पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि हिमाचल में ऑडिट कार्यालय ने डाटा एनालिटिक्स, डिजिटल और हाइब्रिड मॉडल अपना कर लेखा प्रक्रिया को तेज, सटीक और पारदर्शी बनाया है। इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड के उपयोग से विभागों का बोझ कब हुआ है।
राष्ट्रीय लेखा परीक्षा एवं लेखा अकादमी (एनएएए), शिमला के महानिदेशक एस आलोक ने उद्घाटन संबोधन में बताया कि विभाग द्वारा लेखा परीक्षा को आसान और कागज रहित बनाने के लिए हाइब्रिड और रिमोट ऑडिट जैसे अहम कदम उठाए गए हैं। उन्होंने बताया कि ऑडिट का मतलब केवल आपत्तियां करना नहीं है बल्कि सरकारी निधि के पारदर्शी और जिम्मेदारी पूर्ण व्यय के साथ-साथ नागरिक केंद्रित एवं लक्ष्य आधारित व्यय का जरिया भी है। इससे पहले राज्यपाल ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। कार्यक्रम में प्रधान महालेखाकार पुरुषोत्तम तिवारी, वरिष्ठ अधिकारी और कर्मचारी भी मौजूद रहे।







