कानपुर: कानपुर के बहुचर्चित बिकरू कांड में आरोपित नाबालिग खुशी दुबे की सोमवार को किशोर न्याय बोर्ड में पेशी हुई. एनकाउंटर में मारे गए अमर दुबे की पत्नी खुशी दुबे की फर्जी दस्तावेज लगाकर सिम लेने के मामले में पेशी थी. खुशी के मामले में विवेचक कोर्ट में बैकफुट में नजर आए. आरोपित और विवेचक के बयान दर्ज करने के बाद किशोर न्याय बोर्ड ने सुनवाई के लिए 23 सितंबर की तारीख दी है.
सवालों के स्पष्ट जवाब नहीं दे पाए विवेचक
बचाव पक्ष के वकील ने पत्रावली में एसआईटी की रिपोर्ट नहीं होने की दलील दी. जिस पर विवेचक थाना अध्यक्ष चौबेपुर कृष्ण मोहन राय कोई जवाब नहीं दे पाए. इतना ही नहीं वह खुशी के नाबालिग होने पर बालिक जैसा व्यवहार करने के बारे में पूछने पर भी स्पष्ट जवाब नहीं दे सके. करीब 2 घंटे तक चली बहस के दौरान बचाव पक्ष की ओर से कई तर्क दिए गए. विवेचक से सवाल किए गए. विवेचक इनमें से अधिकतर सवालों के जवाब नहीं दे सके. वहीं, बिना किसी जांच-पड़ताल के नाबालिग खुशी को जेल भेजने को विवेचक की बड़ी गलती माना जा सकता है.
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कानून के अनुसार पुलिस की बड़ी गलती है
खुशी के वकील शिवाकांत ने बताया कि कानून के अनुसार पुलिस की बड़ी गलती है, जो पूरी तरह से गैरकानूनी भी है. इस पूरे मामले को कोर्ट के संज्ञान में लाया जाएगा. इसी तरह फर्जी सिम मामले में भी खुशी पर कोई मामला नहीं बनता. उन्होंने कहा कि पुलिस ने खुशी की मां गायत्री देवी के मोबाइल नंबर पर नाबालिग को अभियुक्त बना डाला. जबकि खुशी की मां गायत्री तिवारी अभी भी उस सिम का इस्तेमाल कर रही हैं. खुशी ने उस सिम का इस्तेमाल कभी नहीं किया. वहीं नाबालिक के नाम पर सिम इशू भी नहीं किया जा सकता.
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इंस्पेक्टर से खुशी ने कही ये बात
खुशी के आने की जानकारी पर उसकी मां और कई रिश्तेदार भी मौके पर पहुंच गए थे. जैसे ही उसने मां को देखा तो वह फफक कर रोने लगी. किशोर न्याय बोर्ड में बयान दर्ज कराने आए इंस्पेक्टर कृष्ण मोहन राय उसे गिरफ्तार करने के बाद पहली बार मिले थे. वहीं, जैसे ही खुशी ने इंस्पेक्टर को सामने देखा तो कहा कि सर, आप तो भरोसा देकर ले गए थे. आपने तो कहा था कि तुम्हारा क्या कसूर है, तुम्हारी शादी दो दिन पहले ही हुई है. ऐसी बातें करने के बाद आपने जेल भेज दिया. इतने बड़े मामले में आरोपी बनाकर आपने मेरी जिंदगी बर्बाद कर दी.
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