नई दिल्ली में आयोजित वोट चोर–गद्दी छोड़ रैली में बोले ठाकुर सुखविन्द्र सिंह सुक्खू
वोट की ताकत को कमजोर करने का काम भी भाजपा ने किया
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मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविन्द्र सिंह सुक्खू ने कहा कि आज़ादी के बाद जब इस देश में लोकतंत्र की स्थापना हुई, तब कांग्रेस पार्टी की सोच, पंडित जवाहरलाल नेहरू जी की दूरदृष्टि और महात्मा गांधी जी के आदर्शों से यह तय किया गया कि लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत इस देश की जनता होगी। इसी सोच के तहत जनता को वोट देने का अधिकार दिया गया।
इन वर्षों में कांग्रेस पार्टी ने इस वोट की ताकत को बचाने के लिए सरकारें भी बनाई हैं और सरकारें गंवाई भी हैं। लेकिन भारतीय जनता पार्टी की सरकारों ने लोकतंत्र को खरीदने का काम किया है।
जिस लोकतंत्र में कांग्रेस पार्टी ने वोट की ताकत का संरक्षण किया, उसी लोकतंत्र को खरीदने की कोशिश अगर किसी ने की है, तो वह भारतीय जनता पार्टी है। अगर किसी ने वोट की ताकत को कमजोर करने का प्रयास किया है, तो वह भी भारतीय जनता पार्टी है।
माननीय श्री राहुल गांधी जी ने जब “वोट चोर, गद्दी छोड़” का नारा दिया, तो वह हिंदुस्तान की जनता के एक लिए आह्वाहन था, जिसके वोट की चोरी कर, लोकतंत्र को खरीदकर भाजपा सरकारें बनाती है।
आज दिल्ली में आयोजित इस महारैली में पहुँचकर मैं देश भर से आए सभी कार्यकर्ताओं का तहेदिल से अभिनंदन करता हूँ, उन्हें जय हिंद कहता हूँ। इसी जनशक्ति के बल पर हम अपने लोकतंत्र को बचाएँगे और राहुल गांधी जी के इस आह्वान— “वोट चोर, गद्दी छोड़”— के लिए उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ेंगे।
मुख्यमंत्रीे ठाकुर सुखविन्द्र सिंह सुक्खू ने कहा कि एक तरफ जहां केंद्र सरकार विभिन्न हथकंडे अपनाकर लोकतंत्र को कमजोर करने की कोशिश कर रही है, वहीं चुनी हुई सरकारों के साथ भी भेदभाव किया जा रहा है। हिमाचल प्रदेश ने वर्ष 2023 और 2025 अप्रत्याशित प्राकृतिक आपदा का सामना किया है। प्रदेश को हज़ारों करोड़ रुपये का नुकसान हुआ लेकिन केन्द्र सरकार ने प्रदेश की कोई मदद नहीं की। प्रदेश सरकार ने मजबूती से अपना जायज हक मांगा पर केन्द्र का पक्ष निराशाजनक और भेदभाव से ग्रसित रहा। हमने आपदा प्रभावितों के लिए 4500 करोड़ रुपये का विशेष पैकेज लाकर उनकी मदद करने का प्रयास किया।
प्रधानमंत्री ने प्रदेश को 1500 करोड़ रुपये प्रदान करने की घोषणा तो की लेकिन यह राशि कब मिलेगी और कहां है, इसके बारे में भाजपा नेता मौन हैं।
उन्होंने कहा कि हिमाचल के प्रति केन्द्र का रवैया बेरूखी भरा रहा है। प्रदेश के भाजपा नेता राज्य का विकास नहीं चाहते, वह केन्द्र से मिलने वाले हिमाचल के हर जायज हक को रोकना चाह रहे हैं। हमने जब ओपीएस शुरू की तो केन्द्र सरकार ने 1600 करोड़ रुपये की बोरोइंग बंद कर दी, जिससे प्रदेश सरकार को तीन वर्षों में 4800 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है।
राजस्व घाटा अनुदान को वर्ष 2025-26 में घटाकर 3256 करोड़ रुपये तक सीमित कर दिया गया है। केन्द्र सरकार ने हिमाचल को मिलने वाली ग्रांट में भारी कटौती की है। हमने निरंतर अपने संसाधनों से अर्जित आय को बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं। वास्तविकता यह है कि पूर्व भाजपा सरकार प्रदेश पर 76185 करोड़ रुपये कर्ज छोड़कर गई जिसकेे मूलधन का भुगतान और ब्याज की वापसी हमें करनी पड़ी रही है।









