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central minister of state ramdas athawale invite capt amrinder singh to join bjp also favour of cast census dvmp | आठवले का कैप्टन अमरिंदर को BJP में आने का प्रस्ताव, जातिगत जनगणना पर कही ये बात

अंशुल मुकाती/इंदौर: केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्यमंत्री रामदास आठवले शनिवार को इंदौर पहुंचे. यहां उन्होंने कहा कि उन्होंने पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से बात की है. उन्हें भाजपा में शामिल होने का प्रस्ताव भी दिया है. आठवले के मुताबिक कैप्टन अमरिंदर सिंह के लिए कांग्रेस पार्टी लायक नहीं बची है. उन्होंने जातिगत जनगणना को लेकर भी बात की. 

केंद्रीय राज्यमंत्री आठवले ने कहा कि मैंने अमरिंदर सिंह को एनडीए में शामिल होने को कहा है. भाजपा में उन्हें पूरा सम्मान मिलेगा. इधर राजस्थान में सचिन पायलट को लेकर भी कहा कि उन्हें भी कांग्रेस छोड़ देना चाहिए. हालांकि, छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार बनाने की किसी भी संभावना को लेकर इनकार कर दिया. केंद्रीय राज्यमंत्री ने दावा किया है कि जिस राज्य में थोड़ी भी संभावना होगी. भाजपा वहां सरकार बना कर रहेगी. 

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आठवले ने शरद पवार की तारीफ करते हुए कहा कि कांग्रेस को शरद पवार को नेता बनाना चाहिए. ताकि विपक्ष थोड़ा मजबूत हो सके, लेकिन कांग्रेस हर जगह सोनिया गांधी को आगे कर देती हैं. कोई भी मौका छोड़ा नहीं जाएगा. साथ ही मध्यप्रदेश में चल रहे मिहीर राजा विवाद को लेकर आठवले ने सीख दी है, कि मिहीर राजा सबसे बड़ा राजा है, वे गुर्जर के भी राजा और राजपूतों के भी.

देश में जातिगत जनगणना के मुद्दे पर राजनीति तेज होने के बीच केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास आठवले ने कहा कि रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (ए) जातिगत जनगणना के पक्ष में है. पार्टी का मत है कि केंद्र सरकार को जाति के आधार पर नागरिकों की गिनती पर विचार करना चाहिए. उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी यह बात नहीं मानती कि देश में जातिगत जनगणना कराए जाने से जातिवाद को बढ़ावा मिलेगा. आठवले ने कहा कि उनकी पार्टी की राय है कि अलग-अलग राज्यों में क्षत्रिय जातियों को भी उनकी आबादी के आधार पर सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण दिया जाना चाहिए. 

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देश में जातिगत आरक्षण की अधिकतम सीमा को लेकर ऐतिहासिक इंदिरा साहनी प्रकरण की नजीर के बारे में पूछे जाने पर आठवले ने कहा, “उच्चतम न्यायालय ने बोला है कि आरक्षण की सीमा को 50 फीसद से ज्यादा नहीं बढ़ाया जा सकता. लेकिन ऐसा कोई कानून नहीं है. इस सिलसिले में उच्चतम न्यायालय ने केवल अपना अभिमत दिया है.” उन्होंने दावा किया कि संविधान के एक संशोधन के बाद राज्य सरकारों का अधिकार मिल गया है कि जरूरत महसूस होने पर वे वंचित वर्गों को कुल मिलाकर 50 फीसद से ज्यादा आरक्षण देने पर विचार कर सकती हैं.

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