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December 15, 2025 8:32 pm

छावनी परिषदों के सिविल क्षेत्रों के विलय में देरी से नागरिक अधिकार प्रभावित : सुरेश कश्यप

नियम 377 के तहत लोकसभा में उठाया छावनी क्षेत्रों को पूर्ण नगरपालिका अधिकार देने का मुद्दा

शिमला। भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं लोकसभा सांसद सुरेश कुमार कश्यप ने लोकसभा के नियम 377 के अंतर्गत जनता के अत्यंत महत्वपूर्ण और तात्कालिक हित से जुड़े विषय को सदन के संज्ञान में लाया। उन्होंने रक्षा मंत्रालय द्वारा वर्ष 2022 में छावनी परिषदों के सिविल क्षेत्रों को संबंधित राज्यों की नगर निकायों में विलय की प्रक्रिया शुरू किए जाने के बावजूद, लगभग तीन वर्ष बीत जाने पर भी इसके अंतिम रूप न ले पाने पर गंभीर चिंता व्यक्त की।
सुरेश कश्यप ने कहा कि सर्वेक्षण, जन-सुनवाई और प्रारूप अधिसूचनाएँ जारी होने के बावजूद विलय प्रक्रिया का अंतिम निर्णय न होना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। इस अनावश्यक देरी के कारण छावनी क्षेत्रों में रहने वाले नागरिक—विशेषकर हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों में—पूर्ण नगर निकाय अधिकारों, नागरिक सुविधाओं और आवश्यक शहरी सेवाओं से वंचित हैं।
उन्होंने कहा कि विलय प्रक्रिया में अनिश्चितता और स्पष्ट समय-सीमा के अभाव ने स्थानीय नागरिकों के बीच नाराज़गी के साथ-साथ प्रशासनिक असमंजस भी उत्पन्न कर दिया है। इससे स्थानीय विकास कार्य बाधित हो रहे हैं और नागरिकों को बुनियादी सुविधाएँ समय पर उपलब्ध नहीं हो पा रही हैं।
सांसद सुरेश कश्यप ने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि छावनी परिषदों के सिविल क्षेत्रों के नगर निकायों में विलय की प्रक्रिया को शीघ्रता से पूर्ण किया जाए, आवश्यक अंतिम अधिसूचनाएँ तत्काल जारी की जाएँ, ताकि छावनी क्षेत्रों में रहने वाले नागरिकों को बिना किसी और विलंब के पूर्ण नगरपालिका अधिकार प्राप्त हो सकें और वे अन्य शहरी क्षेत्रों के समान सुविधाओं का लाभ उठा सकें।