Patna: राज्य में कॉलेजों के एफिलिएशन के लिए किसी भी शख्स को जिला शिक्षा पदाधिकारी या शिक्ष विभाग का चक्कर नहीं लगाना पड़ेगा. अगर किसी भी व्यक्ति को कॉलेजों का एफिलिएशन चाहिए तो उन्हें ऑनलाइन आवेदन करना होगा. खासबात ये है कि ऑनलाइन आवेदन का जवाब संबंधित अधिकारियों को 10 दिनों में होगा.
एफिलिएशन में खत्म होगी धांधली!
शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय कुमार के मुताबिक, ऑनलाइन होने से अब एफिलिएशन में किसी तरह की धांधली की आशंका नहीं रहेगी. वहीं, उच्च शिक्षा निदेशक रेखा कुमारी ने कहा है कि एक समय सीमा के अंदर संबंधित अधिकारियों को जवाब देना होगा. एक समय सीमा के अंदर ऑनलाइन आवेदन करने के बाद जवाब देना होगा. टाइम फ्रेम एक्शन के तहत ये पोर्टल लॉन्च किए गए हैं.
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पोर्टल में होगी सभी कर्मचारियों की जानकारी
शिक्षा विभाग ने जहां कॉलेजों के एफिलिएशन को ऑनलाइन कर दिया है. वहीं, अनुदान से चलने वाले कॉलेजों के कर्मचारियों और प्रोफेसर्स को भी वेतन सीधे उनके बैंक खाते (Bank Account) में पहुंचाया जाएगा. दरअसल, बिहार में सैकड़ों की संख्या में सरकारी आर्थिक सहायता से चलने वाले कॉलेज हैं. यहां के कर्मचारियों की शिकायत रही है कि सरकार जिस हिसाब से पैसे भेजती है संबंधित कॉलेज प्रबंधन उस हिसाब से पैसे नहीं देता है. लिहाजा इसके लिए भी एक पोर्टल लॉन्च किया गया है.अब पोर्टल पर एफलिएटेड कॉलेजों के सभी कर्मचारियों की जानकारी होगी.
हर महीने अपलोड होगी पोर्टल पर जानकारी
शिक्षा विभाग सीधे खाते में ही पैसे ट्रांसफर करेगा और बीच मे कॉलेज प्रबंधन का किसी तरह से हस्तक्षेप नहीं होगा. इसी के साथ ही एक और पोर्टल लॉन्च किया गया है, जिसमें राज्य के 13 विश्वविद्यालयों के कर्मचारियों और प्रोफेसरों की जानकारी होगी. जिस भी विश्वविद्यालयों में जितने भी शिक्षक रिटायर्ड होंगे, उनकी जानकारी पोर्टल पर हर महीने के आखिर में अपलोड होगी.
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पूरी तरीके से आनलाइन होगी कार्रवाई
वहीं, विभाग ने ये स्वीकार किया है कि परंपरागत विश्वविद्यालयों में नॉन टीचिंग स्टाफों की दशकों से बहाली नहीं हुई है. तय है कि अब महाविद्यालय या विश्वविद्यालय स्तर पर ग्रुप सी के कर्मचारी बहाल नहीं होंगे. इनकी बहाली एक आयोग बनाकर की जाएगी. बेशक आज इन पोर्टल्स को लॉन्च करके शिक्षा विभाग ने शिकायतों को दूर कर दिया है. एफिलिएशन हो या वेतन या अब सारी कार्रवाई ऑनलाइन ही होगी. वहीं, विभाग ने जल्द ही कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में नॉन टीचिंग स्टाफों की कमी दूर करने पर काम शुरू कर दिया है.