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in Jhunjhunu grandmother was unhappy with the birth of grand daughter now she was happy when nisha chahar cracked IAS exam 2020 | पोती निशा के जन्म से थीं नाखुश, अब IAS एग्जाम निकालते ही डीजे पर सारी रात नाची दादी

Jhunjhunu: राजस्थान के झुंझुनूं की बेटी निशा चाहर ने आईएएस की परीक्षा निकालकर न सिर्फ घरवालों का बल्कि पूरे प्रदेश का नाम रोशन किया है. आज से दो-ढाई दशक पहले बेटी के जन्म पर परिवार के लोग ज्यादा खुश नहीं होते थे, यह दंश झेल चुकी निशा ने इस बार यूपीएससी एग्जाम में 117वीं रैंक हासिल की.

पोती की सफलता पर निशा चाहर की दादी नानची देवी ने बताया कि उसके बेटे राजेंद्र की पत्नी चंद्रकला ने पहली संतान के रूप में बेटी को जन्म दिया था, लेकिन यह बेटी प्री मेच्योर थी और स्वास्थ्य कारणों के कारण यह बेटी जन्म के दो-तीन घंटे बाद इस दुनिया से रुखस्त हो गई थी. इसके करीब डेढ़ साल बाद चंद्रकला ने फिर से एक बेटी को जन्म दिया तो पूरे घर में सन्नाटा पसर गया था. नानचीदेवी ने तो यहां तक कह दिया कि उसके छोटे बेटे के दूसरी बेटी हो गई, लेकिन बेटे राजेंद्र ने नानची देवी को ही इस दूसरी बेटी का ख्याल रखने की जिम्मेदारी दे दी.

यह बेटी कोई और नहीं, बल्कि आज की आईएएस निशा चाहर थीं, जिसकी दादी को शायद उस वक्त निशा के जन्म पर खुशी ना हुई हो. वहीं दादी आज निशा की उपलब्धि पर इतनी बावरी हो गई कि जिस दिन यूपीएससी का परिणाम आया उस दिन उन्होंने ना केवल पूरी रात लोगों को मिठाई बांटी बल्कि डीजे पर ठुमके लगाने से भी पीछे नहीं हटीं. यही नहीं वह रातभर खुशी के मारे सोई तक नहीं. नानचीदेवी ने बताया कि यह सच है कि जिस दिन निशा का जन्म हुआ, वह जरा सी भी खुश नहीं थीं और उसे यही लग रहा था कि आखिर ये दूसरी बार बेटी ही क्यों हुई, बेटा क्यों नहीं.

वहीं निशा की बचपन की बदमाशियां, नटखटपन के साथ-साथ नाना-नानी और दादा के प्यार के आगे दादी भी झुक गईं और धीरे-धीरे दादी का भी निशा को लेकर प्यार बनता चला गया. दादी नानची देवी ने बताया कि उन्हें पहली बार ऐसा तब महसूस हुआ कि बेटी भी बेटे से कहीं कम नहीं है, जब निशा छह-सात साल की थीं और गांव में एक आईएएस की चर्चा हो रही थी. तब निशा ने बचपने में ही सही लेकिन दादी को कह दिया था कि क्या कलेक्टर-कलेक्टर लगा रखी है, मैं बनकर दिखाउंगी कलेक्टर.

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हालांकि तब निशा को पता भी नहीं था कि कलेक्टर क्या होता है, कैसे बनते हैं लेकिन जैसे-जैसे निशा बड़ी हुईं तो उसे पता चला कि कलेक्टर के पास बंगले-गाड़ी होते हैं और वह एक जिले का सबसे बड़ा अधिकारी होता है. तभी से उसने अपना यह सपना पाल लिया था और इसे पहले ही प्रयास में पूरा भी कर लिया है. अब गांव में खुशी का माहौल है.

पिता बोले, मेरी दो-दो बेटियां आईएएस होती

हालांकि निशा ने पहले ही प्रयास में आईएएस क्लियर कर लिया,  इसका अंदाजा तो उसके शिक्षक पिता राजेंद्र चाहर को भी नहीं था. परिणाम से पांच-सात दिन पहले राजेंद्र चाहर को लगने लगा था कि आज तक कोई भी परीक्षा में फेल ना होने वाली निशा इस परीक्षा में भी फेल नहीं होगी. तब उन्होंने भी बातों ही बातों में अपना दर्द बयां किया. राजेंद्र ने कहा कि काश उनकी पहली बेटी भी जिंदा होती तो उन्हें विश्वास है कि आज दो-दो आईएएस बेटियों की खुशी मना रहे होते.

इंटरव्यू के बाद घरवालों ने खरीदी किताबें

यूपीएससी परीक्षा को लेकर निशा चाहर से ज्यादा तनाव उनके घरवालों पर था. इसलिए इंटरव्यू देने के बाद घरवालों ने अगले साल के लिए भी तैयारी शुरू कर दी थी, यहां तक की किताबें भी खरीद ली थी. इस बारे में जब निशा की दादी को पता चला तो उसने अपने बेटे और बहू को डांटा लगाई. दादी ने कहा कि उसकी पोती इसी साल आईएएस बन जाएगी, उसे पूरा विश्वास है. 

दादी ने जलाए दो-दो दिए

पोती निशा की सफलता पर खुशी से लबरेज दादी नानची देवी ने बताया कि वह अक्सर पूजा करते वक्त एक टाइम ही दिया करती हैं, लेकिन बेटी की सफलता के लिए उसने ना केवल दो-दो बार दिए जलाए बल्कि दीयों को घी कभी खत्म नहीं होने दिया और बालाजी से यही प्रार्थना की कि पोती सफल हो जाए.

पिता चाहते थे डॉक्टर बने

पिता राजेंद्र ने बताया कि वे कभी नहीं चाहते थे कि निशा आईएएस की पढाई करें क्योंकि जब 11वीं में विषय चुनने की बारी आई तो उन्होंने निशा को बायलॉजी के लिए कहा. लेकिन निशा ने मैथ्स ली और वह पहले कई बार बता चुकी थीं कि आईएएस की तैयारी करेगी. पिता राजेंद्र ने सोचा था कि पढ़ाई में होशियार उसकी बेटी बॉयलोजी ले लेगी तो उसे डॉक्टर बना देंगे और फिर उसकी शादी कर देंगे. लेकिन आईएएस के नाम से डर लगता था कि कहीं पहले इंजीनियरिंग में फिर चार-पांच साल आईएएस में निकल जाएंगे तो बड़ी हो जाएगी और फिर शादी में दिक्कत होगी. लेकिन निशा की चाह के आगे कभी राजेंद्र ने मुंह नहीं खोला और जो-जो निशा ने चाहा, वो सब दिया. यहां तक की निशा ने बिरला बालिका विद्यापीठ में पढ़ने की चाह की तो उसे चार लाख सालाना फीस में वहां पर भी एडमिशन दिलाया.

स्कूल लेकर नहीं गए, खुद ही चली गई पीछे-पीछे

निशा ने अपना बचपन याद करते हुए बताया कि उसे याद है कि पहली बार वह स्कूल गई तो उसे कोई लेकर नहीं गया था, वह खुद ही चली गई थीं. दरअसल उसके पिता राजेंद्र उस समय उनके ही ढाणी झाड़ूवाली तन चारावास में टीचर थे, तब एक दिन वह अपने पिता के पीछे-पीछे स्कूल में चली गई. जिसका किसी को पता नहीं था लेकिन बीच रास्ते में गर्म मिट्टी के चलते उसके पैर जल गए और वह रोने लगी. तब गांव के लोगों ने उसे राजेंद्र तक स्कूल में पहुंचाया, उसने बताया कि वह स्कूल में  पढने के लिए आ रही थीं. उस दिन के बाद प्राइमरी एजुकेशन के लिए राजेंद्र अपने साथ निशा को अपनी सरकारी स्कूल में लाने लगे.

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झुंझुनूं कलेक्टर का बंगला देखा कई बार

निशा ने बताया कि वह बचपन से ही कलेक्टर बनना चाहती थीं लेकिन उसे यह नहीं पता था कि कौन बनता है, कैसे बनता है. लेकिन उनका जब भी झुंझुनूं कलेक्टर के बंगले के सामने से गुजरना होता था तो सोचती थीं कि मैं भी बड़ी होकर कलेक्टर बनूंगी तो ऐसे बंगले में रहूंगी. जिससे गाड़ी और काफी सुख-सुविधा मिलेगी.

परीक्षा के तीन घंटे हमारे, उस वक्त हम ही सबसे बेस्ट

निशा चाहर ने बताया कि यह सच है कि प्री, मैंस और इंटरव्यू के बाद फाइनल रिजल्ट आने से पहले वह इतनी घबरा गई कि काफी रोईं, उसे हर बार रिजल्ट से पहले ऐसी घबराहट होती थी कि तब परिवार के लोगों ने सांत्वना देकर चुप कराया और फिर रिजल्ट देखा तो खुशी हुई. लेकिन वह परीक्षा से पहले और परीक्षा के दौरान कभी नहीं घबराई, उसका मानना है कि परीक्षा में मिलने वाले तीन घंटे हमारे है. उस वक्त हमारे से बेस्ट कोई नहीं, जो आ रहा है उसे बेस्ट करो. घबराहट हो रही है तो परीक्षा के बाद बाहर आकर रो लो, गुस्सा करो, कुछ भी करो. लेकिन परीक्षा हॉल में केवल और केवल जो आ रहा है, उसे बेस्ट करो.

निशा बोली यदि मैं आईएएस नहीं बनीं तो कुछ नहीं बन सकती

निशा चाहर ने अपने यूपीएससी परीक्षा के सफर पर चर्चा करते हुए बताया कि जब उसका मैंस की परीक्षा थी तो वो दिल्ली थी. दिल्ली में उस वक्त होटल में उनके परिवार के सदस्य थे, इनमें से नानाजी भी एक थे. निशा ने बताया कि जनवरी में सर्दी के मौसम में उसे नहाकर परीक्षा देने जाना था लेकिन होटल के कमरे का गिजर खराब था. वो आम दिनों में भी ठंडे पानी से नहीं नहा सकती तो सर्दी के दिनों में तो बिल्कुल ही नहीं. इधर-उधर होटल वालों को फोन कर रही थीं, इतने में ही उसके नाना ने चाय के लिए पानी गर्म करने वाली केतली से ही पानी गर्म कर निशा को नहाने के लिए पानी दे दिया. नाना का ये प्यार देखकर निशा रो पड़ी और बोली कि यदि मैं आईएएस नहीं बनीं तो कुछ नहीं कर सकती.

Report- Sandeep Kedia

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