Jaipur/Delhi: गेट (Gate), आईआईटी (IIT)/एनआईटी (NIT) जैसी संस्थाओं से पास आउट युवाओं को भी अब भविष्य की चिंता सताने लगी है. नौकरी बचाने के लिए देश के 1,200 से ज्यादा असिस्टेंट प्रोफेसर कल से दिल्ली में भूख हड़ताल (Hunger Strike) पर बैठेंगे. केंद्र और राज्य सरकार की खींचतान के कारण अपना भविष्य संकट में देख राजस्थान (Rajasthan News) सहित 12 राज्यों के सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज के 1,234 असिस्टेंट प्रोफेसर को आखिरकार भूख हड़ताल पर जाने को मजबूर होना पड़ा रहा है, जिसमें राजस्थान के विभिन्न कॉलेजों के 2,42 असिस्टेंट प्रोफेसर शामिल है.
केंद्र और राज्यों के बीच खींचतान
तकनीकी शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए 2017 में भर्ती हुई थी. केंद्र और राज्य सरकार के बीच MOU के तहत साढ़े तीन साल केंद्र ने खर्च वहन किया था. MOU के अनुसार अब राज्य को खर्च वहन करना था लेकिन राज्य सरकार (Rajasthan Government) ने यह कहकर मना कर दिया कि केंद्र ने नियुक्त किया था इसलिए केंद्र सरकार ही फैसला करेगी.
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वहीं केंद्रीय शिक्षा विभाग (Central Education Department) के अतिरिक्त सचिव विनीत जोशी ने गुरुवार को असिस्टेंट प्रोफेसर के प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की है लेकिन कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिलने के बाद प्रोफेसर ने भूख हड़ताल पर जाने का फैसला किया. प्रतिनिधिमंडल का कहना है कि जोशी ने साफ कह दिया है कि करार के तहत अब रिटेंशन प्लान तो राज्य सरकार को ही तय करना है, हम लोग प्रयास कर रहे है कि कोई समाधान निकले.
यह है पूरा मामला
देश में तकनीकी शिक्षा में सुधार लाने के उद्देश्य से विश्व बैंक के सहयोग से 2017 में केंद्र ने एक कार्यक्रम शुरू किया था, जिसके तहत 12 राज्यों के सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज (Government Engineering College) में 1500 असिस्टेंट प्रोफेसर नियुक्त किए गए थे. इस योजना में केंद्र (Central Government) और राज्य सरकार के बीच करार हुआ था कि तीन साल तक वेतन केंद्र देगा और बाद में राज्य सरकारें इनका रिटेंशन प्लान बनाएगी. तीन साल पूरे होने के बाद केंद्र ने 6 और 3 माह के दो एक्सटेंशन दे दिए लेकिन अब आगे यह मामला राज्य सरकार पर छोड़ दिया है. जम्मू कश्मीर, बिहार और झारखंड ने इसके लिए सहमति दे दी है लेकिन अन्य राज्यों ने कोई फैसला नहीं किया है इससे 1,234 असिस्टेंट प्रोफेसर के रोजगार पर संकट के बादल छा गए है.
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जोधपुर निवासी झालावाड़ (Jhalawar) इंजीनियरिंग कॉलेज में प्रोफेसर केशव दत्त (Professor Keshav Dutt) का कहना है कि नौकरी बचाने की मांग को लेकर यह पिछले एक माह से दिल्ली में केंद्रीय शिक्षा मंत्री से लेकर सभी मंत्री सांसद से गुहार लगा रहे हैं. सभी जगह हमारा पक्ष रखने बाद भी हमारी समस्या का समाधान नहीं हो सका. अब असिस्टेंट प्रोफेसर शास्त्री भवन के सामने प्रदर्शन कर रहे हैं और कल से अनशन पर बैठने का फैसला किया है.
प्रोफेसर दत्त का कहना है कि इन असिस्टेंट प्रोफेसर का अंतिम कार्यदिवस 30 सितंबर है, इसके बाद बेरोजगार हो जाएंगे. असिस्टेंट प्रोफेसर अंशुल अवस्थी का कहना है कि केंद्र और राज्य के अपने-अपने तर्क के बीच यह गेट क्वालीफाई, आईआईटी/एनआईटी जैसी संस्थाओं से पढ़े लिखे युवा अब भविष्य को लेकर तनाव में है.
Reporter- Manohar Vishnoi