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Kanhaiya, Mevani delay Congress rejig in two states? | कन्हैया, मेवाणी ने 2 राज्यों में कांग्रेस के पुनर्गठन में देरी की?

नई दिल्ली: कांग्रेस पार्टी की दो राज्य इकाइयों, बिहार और गुजरात में संगठनात्मक पुनर्गठन को रोक दिया गया है, क्योंकि बिहार के भाकपा नेता कन्हैया कुमार (Kanhaiya Kumar) और गुजरात से निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवाणी (Jignesh Mevani) के साथ बातचीत को अभी तक अंतिम रूप नहीं दिया गया है. दोनों नेताओं ने हाल ही में राहुल गांधी (Rahul Gandhi) से मुलाकात की थी और सूत्रों का कहना है कि इन नेताओं और कांग्रेस पार्टी के बीच बातचीत चल रही है. हालांकि इस बीच प्रदेश प्रभारी भक्त चरण दास की अनुशंसा के बावजूद बिहार कांग्रेस कमेटी में फेरबदल की घोषणा में देरी हुई है.

निर्दलीय विधायक है मेवाणी

सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस इन दोनों नेताओं को विधान सभा चुनाव से पहले और खासकर मेवाणी को गुजरात चुनाव से पहले भीड़ खींचने की उनकी क्षमता के लिए शामिल करना चाहती है. मेवाणी गुजरात में निर्दलीय विधायक हैं और उन्होंने कांग्रेस के समर्थन से चुनाव जीता है. अल्पेश ठाकोर, हार्दिक पटेल और मेवाणी की तिकड़ी 2017 के चुनावों में कांग्रेस के साथ थी, जब कांग्रेस ने अच्छा प्रदर्शन किया था, लेकिन चुनाव नहीं जीत सकी थी और अब कांग्रेस चुनाव से पहले मेवाणी को साथ लेना चाहती है, जबकि अल्पेश भाजपा में शामिल हो गए हैं. हालांकि गुरुवार को एआईसीसी प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पूछे जाने पर अजय माकन ने जवाब दिया कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है, लेकिन उन्होंने कहा कि अगर कुछ होता है तो मीडिया को सूचित किया जाएगा.

भाकपा ने दावों का किया खंडन

जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार के पार्टी में शामिल होने को लेकर कांग्रेस के गलियारों में कयास लगाए जा रहे हैं. भाकपा नेता के करीबी सूत्रों ने मंगलवार को दावों का खंडन किया था और कहा था कि ‘ये अफवाहें हैं, जो फैलाई जा रही हैं और उनके कांग्रेस में शामिल होने की कोई बात नहीं है.’ कांग्रेस के सूत्रों का कहना है कि वह पहले भी राहुल गांधी से मिलते रहे हैं और पार्टी में शामिल होने का प्रस्ताव पिछले लोक सभा चुनाव से लंबित है. सूत्रों ने यह भी बताया कि पूर्व में बातचीत के दौरान कन्हैया कुमार ने आंदोलन शुरू करने और फिर धीरे-धीरे इसे राष्ट्रीय स्तर पर ले जाने के लिए बिहार में काम करने के लिए अपनी टीम बनाने पर जोर दिया था. 

अपना पक्ष नहीं छोड़ना चाहती राजद

कांग्रेस राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) के साथ अपने विकल्पों और संबंधों को तौल रही है. राजद कांग्रेस की सबसे पुरानी सहयोगी है और वह अपना पक्ष नहीं छोड़ना चाहती. हाल के विधान सभा चुनावों में बिहार में कांग्रेस लगभग हार गई थी. यह राजद के साथ गठबंधन में लड़ी गई 70 सीटों में से सिर्फ 19 सीटें जीतने में सफल रही और इसके प्रदर्शन को महागठबंधन की हार के कारणों में से एक माना गया.

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