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Mahant Narendra Giri Case know journey from Ashok becoming Anand Giri| आनंद गिरि का भाई लगाता है सब्जी का ठेला, जानिए अशोक से संत बनने का सफर

Bhilwara: उत्तरप्रदेश के प्रयागराज (Prayagraj news) में अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि (Mahant Narendra Giri) की आत्महत्या के मामले में उत्तराखंड पुलिस (Uttarakhand Police) ने  उनके शिष्य आनंद गिरि को गिरफ्तार किया है. यह शिष्य आनंद गिरि राजस्थान के भीलवाड़ा जिला के आसिन तहसील का ब्राह्मण की सरेरी गांव का निवासी है. बता दें कि आनंद गिरि करीब दो दशक से महंत नरेंद्र गिरि के साथ थे. 

महंत नरेंद्र गिरि के शिष्य आनंद गिरि (Anand Giri) राजस्थान के भीलवाड़ा (Bhilwara News) जिले के एक गांव के रहने वाला है. जानकारी के मुताबिक, आनंद गिरि ने साल 2000 में संन्यास लेकर नरेंद्र गिरि की शरण में रहने लग गए थे. उन्होंने महंत नरेंद्र गिरि  के साथ रहकर संस्कृत, वेद और योग की शिक्षा ली. प्रयागराज में अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि का सोमवार को निधन हो गया. जानकारी के अनुसार, नरेंद्र गिरि का शव फंदे से लटका हुआ मिला था. इस मामले की जांच एसआईटी का गठन किया गया है. 

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महंत नरेंद्र गिरि के शिष्य आनंद गिरि गरीब परिवार से है. आनंद गिरि के परिवार में उनके माता-पिता के साथ 3 भाई है, जिसमें 2 भाई गुजारत में भंगार का काम करते हैं और 1 भाई अभी भी सब्जी का ठेला लगाता है. आनंद गिरि ने 1996 में 12 साल की उम्र में घर छोड़कर हरिद्धार चला गया था, जहां उनकी मुलाकात महंत नरेंद्र गिरि से हुई. आनंद गिरी का असली नाम अशोक चोटिया है और वह उनके पिता की चौथी संतान है.

2012 में अपने  शिष्य आनंद गिरि को भीलवाड़ा में उसके घर लेकर आए और उसके परिवार के सामने दीक्षा दिलाकर आनंद गिरी नाम दिया. महंत नरेंद्र गिरि ने आनंद गिरी को आगे पढ़ाया. आनंद गिरि का कहना है कि गुरु नरेंद्र गिरि के करीब रहकर मठ और बड़े हनुमान मंदिर का काम देखने लगा और साल 2014 में आनंद गिरि ने खुद को नरेंद्र गिरि का उत्तराधिकारी के रूप में प्रचारित करना शुरू किया तो उसका विरोध हुआ तब नरेंद्र गिरि ने स्पष्ट किया कि आनंद गिरि उनके उत्तराधिकारी नहीं बल्कि शिष्य ही हैं. इधर, अपने गुरु के खिलाफ साजिश करने के आरोप में आनंद गिरि को निरंजनी अखाड़ा ने 14 मई 2021 को निष्कासित कर दिया था. 

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