



प्रयागराज: निरंजनी अखाड़े के महंत और अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद (Akhada Parishad) के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि (Mahant Narendra Giri) की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत की गुत्थी लगातार उलझती ही जा रहा है. इस पूरे मामले को लेकर एक के बाद एक कई खुलासे हो रहे हैं. उनका शव उत्तर प्रदेश के प्रयागराज स्थित बाघंबरी मठ के कमरे से फांसी के फंदे से लटकता मिला था. शव के पास मिले सुसाइड नोट में शिष्य आनंद गिरि (Anand Giri) समेत कई लोगों के नाम थे. महंत के कमरे से मिले सुसाइड नोट में लिखा है कि उन्हें लड़की के साथ फोटो वायरल करने की धमकी दी जा रही थी.
सुसाइड नोट में क्या है?
महंत नरेंद्र गिरि की मौत के बाद मिले सुसाइड नोट में कई चौंकाने वाली बातें लिखीं हैं. इसमें स्पष्ट लिखा है कि वे 13 सिंतबर को ही आत्महत्या करना चाहते थे, लेकिन हिम्मत नहीं कर पाए. खास बात है कि जो चिट्ठी पुलिस को मिली है वो 13 तारीख को ही लिख दी गई थी, बाद में तारीख को काट कर फिर 20 सिंतबर लिखा गया था. नरेंद्र गिरी ने इस सुसाइड नोट में 5 बार मौत के जिम्मेदारों का नाम लिखा था. इनमें सबसे संदिग्ध व्यक्ति आनंद गिरी, आद्या तिवारी, संदीप तिवारी सहित कई लोगों का नाम शामिल है.
1. 3-3 काग़ज़ थे यानि कुल 12 पेज़ का सुसाइड नोट है. अध्यक्ष श्री मठ बाघम्बरी के लैटर पैड पर लिखा है
2. मैं बेहद दुखी होकर आत्महत्या करने जा रहा हूँ
3. मैं बहुत दुखी हूँ, मेरी मौत की ज़िम्मेदारी आनंद गिरी, आद्या तिवारी और संदीप तिवारी की है
4. प्रयागराज के पुलिस से अनुरोध है कि इन तीनों के ख़िलाफ़ क़ानूनी कार्यवाई करें, ताकि मेरी आत्मा को शांति मिले
5. महंत नरेन्द्र गिरि ने लिखा कि वो 13 सितंबर को ही आत्महत्या करना चाह रहे थे, लेकिन हिम्मत नहीं कर पाया
6. महंत नरेन्द्र गिरि ने लिखा कि हरिद्वार में सूचना मिली कि आनंद गिरि कंप्यूटर के माध्यम से मोबाइल से किसी ग़लत काम करते हुए मेरी फ़ोटो लगाकर फ़ोटो वायरल कर दी. मैंने सोचा सफ़ाई किस किस को दूँगा, बदनामी होगी. इसलिए मैं आत्महत्या करने जा रहा हूँ. मेरी मौत के ज़िम्मेदार आनंद गिरि, आद्या तिवारी, संदीप तिवारी होंगे
7. महंत नरेन्द्र गिरि ने लिखा कि आनंद गिरि ने असत्य, मिथ्या, मनगढ़ंत आरोप लगाए थे. तब से मैं मानसिक दबाव में जी रहा हूँ
8. महंत ने लिखा कि जब भी मैं एकांत में रहता हूँ, मेरी मर जाने की इच्छा होती है, इन तीनों ने मेरे साथ विश्वासघात किया, सब कुछ मैं अपने होश में लिख रहा हूँ, मेरे ऊपर कोई दबाव नहीं है. इन तीनों ने मुझे जान से मारने की कोशिश की. सोशल मीडिया फ़ेसबुक, समाचार पत्र में मेरे चरित्र के ऊपर मनगढ़ंत आरोप लगाया. मैं मरने जा रहा हूँ. मैं सत्य बोलूँगा, मेरा घर से कोई संबंध नहीं है. मैंने एक भी पैसा घर पर नहीं दिया. मैंने एक एक पैसा मंदिर और मठ में लगाया. 2004 में मैं महंत बना, 2004 से पहले अभी जो मठ और मंदिर का विकास किया, सभी भक्त जानते हैं.
9. आनंद गिरी द्वारा जो भी आरोप लगाया गया उससे मेरी और मठ मंदिर की बदनामी हुई. मैं बहुत आहत हूँ, मैं आत्महत्या करने जा रहा हूँ. मेरे मरने की संपूर्ण ज़िम्मेदारी आनंद गिरी, आद्या प्रसाद तिवारी जो मंदिर के पुजारी हैं, आद्या प्रसाद का बेटा संदीप तिवारी की होगी.
10. मैं समाज में हमेशा शान से जिया, लेकिन आनंद गिरी ने मुझे ग़लत तरीक़े से बदनाम किया.
11. मेरी अंतिम इच्छा है कि मेरी समाधि स्थल गद्दी पर गुरू जी के बग़ल नींबू के पेड़ के पास लगायी जाए
12. प्रिय बलवीर, ओम नमो नारायण. प्रयास करना कि मठ-मंदिर की व्यवस्था जैसे मैंने किया उसी तरह चलती रहे
13. परम पूज्य महंत हरि गोविंद पुरी जी से निवेदन है कि महंत बलवीर गिरी को उत्तराधिकारी बनाना.
14. आशुतोष और नीतेश सभी महात्मा बलवीर का सहयोग करें
15. महंत रविंद्र आपने हमेशा मेरा साथ दिया, मेरे मरने के बाद बलवीर का साथ देना
16. मेरी अंतिम इच्छा है कि धनंजय मेरे कमरे की चाभी बलवीर गिरि जी को सौंप दें
17. आदित्य मिश्र और शैलेंद्र सिंह रियल एस्टेट से 25-25 लाख रूपये माँगना है
18. सुसाइड नोट पर महंत नरेन्द्र गिरि नाम से हस्ताक्षर भी है
19. बलवाीर जी, मेरे शिष्यों का ध्यान रखना. मनीष शुक्ला, अभिषेक मिश्र और शिवांक मिश्र मेरे अति प्रिय हैं. कोरोना काल में सुमित तिवारी ने मेरी मदद की. मंदिर में माला फूल की दुकान सुमित तिवारी को दिया. मनीष शुक्ला को लड्डू की दुकान दी है.