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Narendra Giri Death Case suicide note anand giri and aadya tiwari arrested by up police sit | एक संत की मौत और शिष्य पर सवाल, जानिए क्या है नरेंद्र गिरि के सुसाइड नोट का सच

नई दिल्ली: भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की मौत के मामले (Narendra Giri Death Case) में आज बड़े खुलासे हुए हैं. हमारे पास इस समय 12 पन्नों का वो Suicide Note है, जो महंत नरेंद्र गिरि के शव के पास मिला था.

बाघम्बरी गद्दी के ही दो लिफाफो में मिले इस Suicide Note में महंत नरेंद्र गिरि ने अपनी मौत के लिए तीन लोगों को जिम्मेदार बताया है. ये तीन लोग हैं, उनके शिष्य महंत आनंद गिरि, प्रयागराज के बड़े हनुमान मंदिर के मुख्य पुजारी आद्या तिवारी और उनका पुत्र संदीप तिवारी. यूपी पुलिस महंत आनंद गिरि और पुजारी आद्या तिवारी को गिरफ्तार कर चुकी है और संदीप तिवारी को भी हिरासत में ले लिया गया है.

13 सितंबर को लिखा गया था सुसाइड नोट?

इस Suicide Note के कुछ पन्नों पर 13 सितंबर 2021 की तारीख लिखी थी, जिसे काट कर, 20 सितंबर 2021 किया गया है. इसमें लिखा है कि महंत नरेंद्र गिरि ने 13 सितंबर को आत्महत्या करने की कोशिश की थी, लेकिन तब वो इसके लिए हिम्मत नहीं जुटा पाए. अगर ये दावा सही है तो इस हिसाब से महंत नरेंद्र गिरि ने ये नोट 13 सितंबर को ही लिख लिया था. लेकिन इसी नोट के कुछ पन्ने ऐसे हैं, जिन पर तारीख को पेन से काटा नहीं गया है और ये तारीख 20 सितंबर है. इसलिए ये कहना मुश्किल है कि ये नोट एक ही तारीख को लिखे गए या अलग-अलग तारीख पर लिखे गए.

सुसाइड नोट में 14 बार आनंद गिरि का जिक्र

इस Suicide Note में महंत आनंद गिरि के नाम का जिक्र 14 बार किया गया है, जो कि सबसे ज्यादा है. इसमें लिखा है कि महंत नरेंद्र गिरि को हरिद्वार से ये सूचना मिली थी कि आनंद गिरि ने कंप्यूटर के माध्यम से उनकी तस्वीरों को Morph करके वायरल कर दिया है और वो उन्हें Blackmail भी कर रहे हैं.

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इसी नोट में आगे लिखा है कि मठ के दान और संपत्ति में हेराफेरी के झूठे और मनगढ़ंत आरोप लगा कर आनंद गिरि, आद्या तिवारी और उनके पुत्र संदीप तिवारी ने महंत नरेंद्र गिरि की बदनामी की, जिससे वो डरे हुए थे.

महंत नरेंद्र गिरि पर लगाए गए थे ये आरोप

वो लिखते हैं कि सोशल मीडिया और समाचार पत्रों में उन पर उनके परिवार से संबंध रखने के जो आरोप लगाए गए, वो भी गलत थे. उन्होंने मंदिर और मठ के दान का गलत इस्तेमाल नहीं किया. वो इसमें बताते हैं कि 2004 में बाघम्बरी गद्दी के महंत बनने से पहले और फिर बाद में उन्होंने सारा पैसा मंदिर और मठ के विकास पर खर्च किया.

इसमें ये भी लिखा है कि महंत नरेंद्र गिरि इन आरोपों से आहत थे और मानसिक दबाव में थे. उन्होंने अपनी आत्महत्या के लिए आनंद गिरि, आद्या तिवारी और उनके पुत्र संदीप तिवारी को दोषी बताया है और पुलिस से उन्हें सजा देने की भी मांग की है.

उन्होंने इस Suicide Note में ये भी अनुरोध किया है कि उनके बाद महंत बलवीर गिरि को बाघम्बरी मठ का उत्तराधिकारी बनाया जाए और धनंजय नाम का उनका शिष्य उनके कमरे की चाभी बिना किसी विरोध के महंत बलवीर गिरि को सौंप दे.

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इसके अलावा इस Suicide Note में ये भी लिखा है कि आदित्य मिश्रा और शैलेंद्र सिंह नाम के Real Estate कारोबारियों से उन्हें 25-25 लाख रुपये लेने हैं. बड़े हनुमान मंदिर में सुमित तिवारी और मनीष शुक्ला नाम के दो लोगों को दुकानें दी गई हैं.

इस मामले की जांच के लिए उत्तर पुलिस की Special Investigation Team यानी SIT का भी गठन कर दिया गया है. और अब यही टीम इस 12 पन्नों के Suicide Note की जांच करेगी.

हालांकि इस Suicide Note के सामने आने के बाद महंत नरेंद्र गिरि को करीब से जानने वाले उनके शिष्यों और संतों ने बड़ा दावा किया है. उनका कहना है कि महंत नरेंद्र गिरि कभी भी लिखने-पढ़ने का काम खुद नहीं करते थे.

बाघम्बरी मठ और प्रयागराज में उनके कई शिष्य ये भी कहते हैं कि महंत नरेंद्र गिरि ने अपने जीवन में कभी एक लाइन नहीं लिखी. इसलिए अब ये भी सवाल उठ रहा है कि जब उन्होंने कभी कुछ नहीं लिखा तो फिर 12 पन्नों का ये सुसाइड नोट कहां से आया?

पुलिस के मुताबिक, महंत नरेंद्र गिरि का शव पंखे से लटका मिला था और शव के पास सल्फास की गोलियों का पैकेट भी रखा था. लेकिन हमें पता चला है कि ये पैकेट बंद था यानी महंत नरेंद्र गिरि ने इसे खोला ही नहीं. इससे उनकी आत्महत्या के दावे पर भी संदेह होता है. पुलिस ने कहा है कि वो हत्या के एंगल से भी इस मामले की जांच करेगी.

इस पूरे में सबसे ज्यादा संदेह महंत आनंद गिरि पर जताया जा रहा है. महंत आनंद गिरि अपने गुरु और महंत नरेंद्र गिरि से 300 साल पुरानी बाघम्बरी गद्दी छीनना चाहते थे. उन पर बाघम्बरी मठ की जमीन और आश्रम पर भी कब्जा करने के आरोप लग रहे हैं.

हिंदू धर्म में कहा गया है कि संत वही है, जिसमें संतत्व है, जिसमें भौतिक सुखों की आकांक्षा नहीं है और जो वस्त्र और आभूषण की लालसा में ना रह कर आंतरिक उत्कर्ष का उदाहरण देता है. लेकिन महंत आनंद गिरि इनमें से किसी भी पैमाने पर खरा नहीं उतरते. आज हमें उनकी कुछ ऐसी तस्वीरें मिली हैं, जिन्हें देख कर ऐसा लगता है कि वो सन्यासी परंपरा और अखाड़ा संस्कृति से अलग रास्ते पर चल रहे थे.

महंत आनंद गिरि को वर्ष 2019 में ऑस्ट्रेलिया की पुलिस ने गिरफ्तार भी किया था क्योंकि तब उन पर वहां दो लड़कियों के साथ अमर्यादित व्यवहार का आरोप लगा था. महंत आनंद गिरि पर ये भी आरोप है कि उन्होंने मठ को मिलने वाले दान में हेराफेरी करके पैसा अपने परिवार और विदेशी यात्राओं पर खर्च किया. परिवार के साथ संबंध रखने पर उन्हें मठ से भी निष्कासित किया गया था, लेकिन फिर इसी साल 26 मई को उन्होंने महंत नरेंद्र गिरि के पैर पकड़ कर माफी मांग ली थी.

आज उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बाघम्बरी मठ में महंत नरेंद्र गिरि के अंतिम दर्शन किए और ये भी कहा कि इस मामले में एक-एक घटना का पर्दाफाश होगा.

इस खबर को लेकर लेटेस्ट अपडेट ये है कि कल सुबह 7 से 9 बजे के बीच महंत नरेंद्र गिरि का Postmortem होगा और फिर दोपहर 12 बजे उन्हें बाघम्बरी मठ की गद्दी के पास समाधि दी जाएगी. जो Suicide Note हमें मिला है, उसमें उन्होंने उस जगह का भी जिक्र है, जहां वो अपनी समाधि चाहते थे. ये जगह इस मठ की गद्दी के पास नींबू के पेड़ के नीचे है.

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