सबकी खबर , पैनी नज़र

सच्चे दोस्त की ज़रूरत : सुरेंद्र शर्मा ‘शिव’

दोस्तों की महफिल में
जब खुद को अकेला पाया
तब जाना अब तक
ज़िंदगी में कुछ नहीं पाया

जिनको समझता था अपना
वो अपने नहीं, वो तो पराए निकले
वो नाचते रहे उस महफिल में
जिसमें मेरे दिल के अरमान निकले

था मौका जश्न का लेकिन
मेरा दिल कहीं और था
झूम रहे थे सभी महफिल में
फरमाइशों का दौर था

जाने मैं क्यों खुद को आज
उनसे दूर पा रहा था
आज फिर उनकी खुशी से मैं
बहुत दूर जा रहा था

थे वो तो मस्ती में बहुत
मेरे हाल से वो अनजान थे
चढ़ा था सुरूर उनको
दुनिया से आज अनजान थे

झूम रहे थे हाथों में लेकर हाथ
जो कर रहे थे वो सही कर रहे थे
देखकर अकेलापन अपना
हम इस महफिल में भी डर रहे थे

है ज़रूरी होना सच्चे दोस्त का
अच्छी ज़िंदगी जीने के लिए
वैसे तो बहुत मिल जाएंगे दोस्त भी
अच्छे समय को जीने के लिए।