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Nitin Patel gets emotional Over question of not being made cm Gujarat । Gujarat CM नहीं बनाए जाने पर भावुक हुए नितिन पटेल, कहा-18 साल की उम्र से BJP में कर रहा हूं काम

गांधीनगर: गुजरात (Gujarat) के उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल (Nitin Patel) मुख्यमंत्री बनते-बनते रह गए. भावुक पटेल ने सोमवार को कहा कि भाजपा (BJP) ने उनके लिए बहुत कुछ किया है और वह इस पद के लिए नए चयन से परेशान नहीं हैं. सोमवार को शपथ ग्रहण समारोह से ठीक पहले गुजरात (Gujarat) के नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल (Bhupendra Patel) ने नितिन पटेल (Nitin Patel) से उनके आवास पर मुलाकात भी की. 

‘मैं पार्टी में सेवा करना जारी रखूंगा’

भूपेंद्र पटेल (Bhupendra Patel) से मुलाकात के बाद नितिन पटेल (Nitin Patel) ने कहा, ‘मैंने भूपेंद्र पटेल को बधाई दी, जो एक पुराने पारिवारिक मित्र हैं. उन्होंने जब भी जरूरत पड़ी तो मेरा मार्गदर्शन भी मांगा है.’ हालांकि गुजरात के नए सीएम के लिए भूपेंद्र पटेल की घोषणा के समय मुख्यमंत्री पद के लिए सबसे पहले दावेदारों में से एक नितिन पटेल काफी अचंभित थे. अपने आवास पर सोमवार की बैठक के बाद, नितिन ने कहा, ‘मैं परेशान नहीं हूं. मुझे पार्टी में कोई पद मिले या नहीं, मैं पार्टी में सेवा करना जारी रखूंगा. मैं 18 साल की उम्र से भाजपा में काम कर रहा हूं और आगे भी रहूंगा.’ भूपेंद्र पटेल ने नितिन पटेल के अलावा सोमवार को विजय रुपाणी से भी उनके आवास पर मुलाकात की.
 

CM पद के प्रबल दावेदारों में रहे नितिन पटेल

बता दें, बीते शनिवार (11 सितम्बर) को विजय रुपाणी ने गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत को गांधीनगर स्थित उनके आवास राजभवन में अपना इस्तीफा सौंप दिया था. विजय रुपाणी ने 7 अगस्त 2016 को राज्य के मुख्यमंत्री का पद ग्रहण किया था और वह गुजरात विधान सभा में राजकोट पश्चिम का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. इसके बाद से ही मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में नितिन पटेल का नाम सबसे आगे चल रहा था. नितिन पटेल के अलावा गुजरात के अगले मुख्यमंत्री के लिए गोरधन जदाफिया, केंद्रीय मंत्री मनसुख मंडाविया और पुरुषोत्तम रूपाला और राज्य भाजपा प्रमुख सीआर पाटिल के नाम की भी चर्चा थी. लेकिन भाजपा नेतृत्व ने सबको चौंकाते हुए भूपेंद्र पटेल के नाम पर मुहर लगाई. 
 

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2022 के लिए बीजेपी ने साधा समीकरण

गौरतलब है कि बीजेपी ने 5 साल बाद किसी पाटीदार को दोबारा राज्‍य की कमान सौंपी है. मोदी-शाह ने बड़ी सोची-समझी रणनीति के तहत ये कदम उठाया है. इसके जरिए पार्टी पिछले कुछ समय से नाराज पाटीदार समुदाय को खुश करना चाहती है. गुजरात में पाटीदार समुदाय धन-बल दोनों से बेहद ताकतवर है. बीजेपी के दो दशकों से जारी विजय अभियान में इस समुदाय की बड़ी भूमिका है. 2016 में आनंदीबेन पटेल ने इस्‍तीफा दिया था, वो इसी समुदाय से आती हैं. भूपेंद्र पटेल के हाथों में राज्‍य का नेतृत्‍व देकर बीजेपी के आलाकमान ने पाटीदार कार्ड खेला है.पाटीदार समुदाय की ताकत को इस बात से समझा जा सकता है कि ये राज्‍य में 70 से ज्‍यादा चुनावी सीटों का रुख बदल सकते हैं.

(INPUT: IANS)

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