शिमला, 5 सितम्बर 2025; भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान (आई.आई.ए.एस.), शिमला में आज शिक्षक दिवस के अवसर पर एक विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया। यह व्याख्यान संस्थान के फेलो प्रोफेसर एस. रंगनाथ ने दिया तथा कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रोफेसर हिमांशु कुमार चतुर्वेदी, निदेशक, आई.आई.ए.एस. ने की। इस अवसर पर राष्ट्रीय अध्येता, टैगोर अध्येता, आई.यू.सी. सह-अध्येता, आवासीय अध्येता, विभिन्न अनुभागाध्यक्ष तथा कर्मचारी उपस्थित रहे।
अपने संबोधन में प्रोफेसर रंगनाथ ने डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की शिक्षावादी दृष्टि और आदर्शों पर प्रकाश डाला, जिनकी जयंती के उपलक्ष्य में पूरे देश में शिक्षक दिवस मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि राधाकृष्णन का दृष्टिकोण केवल कक्षा तक सीमित नहीं था, बल्कि वह सत्य, सेवा और सार्वभौमिक मूल्यों की खोज पर आधारित था। उन्होंने शिक्षक की भूमिका को केवल एक पेशा नहीं बल्कि मानवता के उच्च आदर्शों को पोषित करने का पवित्र दायित्व बताया।
प्रोफेसर रंगनाथ ने कहा कि बदलते समय में डॉ. राधाकृष्णन के विचार और भी प्रासंगिक हो गए हैं। आज का शिक्षक केवल ज्ञान का संवाहक ही नहीं बल्कि परंपरा और आधुनिकता के बीच संतुलन स्थापित करने वाला मार्गदर्शक भी है, जो छात्रों में जिज्ञासा, नैतिकता और विश्व बंधुत्व की भावना जागृत करता है।
प्रोफेसर हिमांशु कुमार चतुर्वेदी ने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में शिक्षक दिवस जैसे आयोजनों की महत्ता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि आई.आई.ए.एस., जो ऐतिहासिक राष्ट्रपति निवास में स्थित है उसके संस्थापक भी डॉ. राधाकृष्णन हैं। उन्हीं की प्रेरणा से आज यह संस्थान उच्च शिक्षण एवं बौद्धिक परंपरा का प्रतीक है और समाज की सेवा के लिए विद्वतापूर्ण मूल्यों को आगे बढ़ाने का कार्य कर रहा है।
कार्यक्रम का समापन सभी शिक्षकों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए किया गया, जिनकी निष्ठा और समर्पण समाज व व्यक्तित्व निर्माण में अमूल्य योगदान देता है।
अखिलेश पाठक
पीआरओ, आईआईएएस




