सबकी खबर , पैनी नज़र

तेरा इंतज़ार* सुरेन्द्र शर्मा शिव

जानता हूँ बुरा मान जाओगे तुम
तुम्हारा दिल और दुखाना नहीं चाहता हूँ
माफ़ करना कोई गलती हो गई हो
अब मैं तुमसे कुछ कहना नहीं चाहता हूँ

तुम क्या चाहते हो मैं नहीं जानता
मैं तो बस तुम्हें चाहता रहा हूँ
लेकिन जान गया हूँ मैं इतना तो
वो तू नहीं चाहता, जो मैं चाहता हूँ

है ख़ुशी मेरी भी तो तेरी ख़ुशी में
मैं तो सिर्फ़ तुम्हें खुश देखना चाहता हूँ
बात भी करते हो और कुछ कहते भी नहीं
तुम्हें इस दुविधा से निकालना चाहता हूँ

हो सके तो माफ़ कर देना मुझे
बस तुमसे इतना सा फेवर चाहता हूँ
मत बदलना तुम किसी के लिए
मैं तुममें वही पुराना कलेवर देखना चाहता हूँ

सच्ची दोस्ती चाहता था मैं तो तेरी
मैं तुमको ये बताना चाहता हूँ
जाने क्या सोचते हो तुम मेरे बारे में
तुम्हारे मुँह से सुनना चाहता हूँ

मजबूरी में सौदा होता है दोस्ती नहीं
मैं तुमसे कोई सौदा नहीं करना चाहता हूँ
जिस गली में न हो कोई दोस्त मेरा
अब उस गली से दूर निकलना चाहता हूँ

पहचान पाओगे जिस दिन मुझे तुम
कभी तो आए वो दिन, यही चाहता हूँ
जानता हूँ कभी आएगा नहीं वो दिन
फिर भी उस दिन का इंतज़ार करना चाहता हूँ।