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October 30, 2025 9:02 am

मन की बात की 84वीं कड़ी में प्रधानमंत्री के सम्बोधन का मूल पाठ

मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार ! इस समय आप 2021 की विदाई और 2022 के स्वागत की तैयारी में जुटे ही होंगे। नए साल पर हर व्यक्ति, हर संस्था, आने वाले साल में कुछ और बेहतर करने, बेहतर बनने के संकल्प लेते हैं। पिछले सात सालों से हमारी ये ‘मन की बात’ भी व्यक्ति की, समाज की, देश की अच्छाइयों को उजागर कर, और अच्छा करने, और अच्छा बनने की, प्रेरणा देती आयी है। इन सात वर्षों में, ‘मन की बात’ करते हुए मैं सरकार की उपलब्धियों पर भी चर्चा कर सकता था। आपको भी अच्छा लगता, आपने भी सराहा होता, लेकिन, ये मेरा दशकों का अनुभव है कि मीडिया की चमक-दमक से दूर, अख़बारों की सुर्ख़ियों से दूर, कोटि-कोटि लोग हैं, जो बहुत कुछ अच्छा कर रहे हैं। वो देश के आने वाले कल के लिए, अपना आज खपा रहे हैं। वो देश की आने वाली पीढ़ियों के लिए अपने प्रयासों पर, आज, जी-जान से जुटे रहते हैं। ऐसे लोगों की बात, बहुत सुकून देती है, गहरी प्रेरणा देती है। मेरे लिए ‘मन की बात’ हमेशा से ऐसे ही लोगों के प्रयासों से भरा हुआ, खिला हुआ, सजा हुआ, एक सुन्दर उपवन रहा है, और ‘मन की बात’ में तो हर महीने मेरी मशक्कत ही इस बात पर होती है, इस उपवन की कौन सी पंखुड़ी आपके बीच लेकर के आऊं। मुझे ख़ुशी है कि हमारी बहुरत्ना वसुंधरा के पुण्य कार्यों का अविरल प्रवाह, निरंतर बहता रहता है। और आज जब देश ‘अमृत महोत्सव’ मना रहा है, तो ये जो जनशक्ति है, जन-जन की शक्ति है, उसका उल्लेख, उसके प्रयास, उसका परिश्रम, भारत के और मानवता के उज्जवल भविष्य के लिए, एक तरह से गारंटी देता है।
साथियो, ये जनशक्ति की ही ताकत है, सबका प्रयास है कि भारत 100 साल में आई सबसे बड़ी महामारी से लड़ सका। हम हर मुश्किल समय में एक दूसरे के साथ, एक परिवार की तरह खड़े रहे। अपने मोहल्ले या शहर में किसी की मदद करना हो, जिससे जो बना, उससे ज्यादा करने की कोशिश की। आज विश्व में Vaccination के जो आंकड़े हैं, उनकी तुलना भारत से करें, तो लगता है कि देश ने कितना अभूतपूर्व काम किया है, कितना बड़ा लक्ष्य हासिल किया है। Vaccine की 140 करोड़ dose के पड़ाव को पार करना, प्रत्येक भारतवासी की अपनी उपलब्धि है। ये प्रत्येक भारतीय का, व्यवस्था पर, भरोसा दिखाता है, विज्ञान पर भरोसा दिखाता है, वैज्ञानिकों पर भरोसा दिखाता है, और, समाज के प्रति अपने दायित्वों को निभा रहे, हम भारतीयों की, इच्छाशक्ति का प्रमाण भी है। लेकिन साथियो, हमें ये भी ध्यान रखना है कि कोरोना का एक नया variant, दस्तक दे चुका है। पिछले दो वर्षों का हमारा अनुभव है कि इस वैश्विक महामारी को परास्त करने के लिए एक नागरिक के तौर पर हमारा खुद का प्रयास बहुत महत्वपूर्ण है। ये जो नया Omicron variant आया है, उसका अध्ययन हमारे वैज्ञानिक लगातार कर रहे हैं। हर रोज नया data उन्हें मिल रहा है, उनके सुझावों पर काम हो रहा है। ऐसे में स्वयं की सजगता, स्वयं का अनुशासन, कोरोना के इस variant के खिलाफ देश की बहुत बड़ी शक्ति है। हमारी सामूहिक शक्ति ही कोरोना को परास्त करेगी, इसी दायित्वबोध के साथ हमें 2022 में प्रवेश करना है।
मेरे प्यारे देशवासियो, महाभारत के युद्ध के समय, भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को कहा था – ‘नभः स्पृशं दीप्तम्’ यानि गर्व के साथ आकाश को छूना। ये भारतीय वायुसेना का आदर्श वाक्य भी है। माँ भारती की सेवा में लगे अनेक जीवन आकाश की इन बुलंदियों को रोज़ गर्व से छूते हैं, हमें बहुत कुछ सिखाते हैं। ऐसा ही एक जीवन रहा ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह का। वरुण सिंह, उस हेलीकॉप्टर को उड़ा रहे थे, जो इस महीने तमिलनाडु में हादसे का शिकार हो गया। उस हादसे में, हमने, देश के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत और उनकी पत्नी समेत कई वीरों को खो दिया। वरुण सिंह भी मौत से कई दिन तक जांबाजी से लड़े, लेकिन फिर वो भी हमें छोड़कर चले गए। वरुण जब अस्पताल में थे, उस समय मैंने social media पर कुछ ऐसा देखा, जो मेरे ह्रदय को छू गया। इस साल अगस्त में ही उन्हें शौर्य चक्र दिया गया था। इस सम्मान के बाद उन्होंने अपने स्कूल के प्रिंसिपल को एक चिट्ठी लिखी थी। इस चिट्ठी को पढ़कर मेरे मन में पहला विचार यही आया कि सफलता के शीर्ष पर पहुँच कर भी वे जड़ों को सींचना नहीं भूले। दूसरा – कि जब उनके पास celebrate करने का समय था, तो उन्होंने आने वाली पीढ़ियों की चिंता की। वो चाहते थे कि जिस स्कूल में वो पढ़े, वहाँ के विद्यार्थियों की जिंदगी भी एक celebration बने। अपने पत्र में वरुण सिंह जी ने अपने पराक्रम का बखान नहीं किया बल्कि अपनी असफलताओं की बात की। कैसे उन्होंने अपनी कमियों को काबिलियत में बदला, इसकी बात की। इस पत्र में एक जगह उन्होंने लिखा है