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December 2, 2025 11:44 pm

“पूर्वोत्तर की भारतीय ज्ञान परंपरा” विषय पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ*

शिमला, 24 सितम्बर 2025। भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान, शिमला में आज “पूर्वोत्तर की भारतीय ज्ञान परंपरा” विषय पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ हुआ। उद्घाटन सत्र में देशभर से आए विद्वानों एवं शोधार्थियों ने भाग लिया।
संगोष्ठी का उद्घाटन सत्र के प्रारंभ में स्वागत संबोधन के पश्चात् संगोष्ठी संयोजक डॉ. प्रदीप त्रिपाठी ने विषय-प्रवर्तन प्रस्तुत किया और पूर्वोत्तर भारत की लोक एवं ज्ञान परंपराओं की पृष्ठभूमि पर प्रकाश डाला।
बीज वक्तव्य प्रस्तुत करते हुए हरियाणा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के उपाध्यक्ष प्रो. कुलदीप चंद अग्निहोत्री ने पूर्वोत्तर भारत की लोक परंपराओं को भारतीय ज्ञान परंपरा की जड़ों से जोड़ते हुए कहा कि इस क्षेत्र की विविध भाषाएँ, लोककथाएँ और जीवन दृष्टि हमारी राष्ट्रीय विरासत की अमूल्य धरोहर हैं।
मुख्य अतिथि सिक्किम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. शांतनु कुमार स्वाई ने अपने संबोधन में कहा कि पूर्वोत्तर भारत की ज्ञान परंपराओं में प्रकृति के साथ गहरे सामंजस्य का दर्शन होता है। उन्होंने बताया कि आधुनिक समय में इन परंपराओं का अध्ययन भारतीय समाज को पर्यावरणीय संतुलन और सामुदायिक जीवन के लिए नई दिशा प्रदान कर सकता है।
अध्यक्षीय भाषण में भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान के निदेशक प्रो. हिमांशु कुमार चतुर्वेदी ने कहा कि संस्थान सदैव भारतीय ज्ञान परंपरा को समझने और आगे बढ़ाने के प्रयास करता रहा है। उन्होंने इस संगोष्ठी को पूर्वोत्तर भारत की विविध सांस्कृतिक परंपराओं और भारतीय ज्ञान परंपरा के मध्य वैचारिक संवाद स्थापित करने का उपयुक्त अवसर बताया।
संगोष्ठी के प्रथम दिन उद्घाटन सत्र के अलावा तीन अकादमिक सत्र संचालित किये गए। इन सत्रों में प्रमुख रूप गोरखपुर से  प्रो. निधि चतुर्वेदी, सिक्किम से प्रो वीनू पंत, डॉ. बी.बी. लामा त्रिपुरा से मिलनरानी जमातिया, मेघालय से फिल्मेका मारबनियांग, मणिपुर से ई विजयलक्ष्मी, असम से डॉ. कल्पना पाठक, अरुणाचल प्रदेश से डॉ. अभिषेक कुमार यादव जी ने भारतीय ज्ञान परम्परा के परिप्रेक्ष्य में अपने राज्य की महत्वपूर्ण जनजातियों के पारम्परिक ज्ञान प्रणाली के संदर्भ में विस्तार से चर्चा की। सभी सत्र बहुत ही महत्वपूर्ण और उल्लेखनीय रहे।
धन्यवाद ज्ञापन संस्थान के सचिव श्री मेहर चंद नेगी द्वारा प्रस्तुत किया गया। उद्घाटन सत्र का संचालन जनसंपर्क अधिकारी अखिलेश पाठक ने किया।
यह संगोष्ठी 24 से 26 सितम्बर तक चलेगी, जिसमें विभिन्न तकनीकी सत्रों के माध्यम से पूर्वोत्तर भारत की लोक परंपराओं, मौखिक साहित्य, भाषाओं, पारंपरिक ज्ञान प्रणालियों और सांस्कृतिक धरोहरों पर गहन विमर्श होगा।