नई दिल्ली: ब्रिटेन (Britain) के नए वीजा नियमों के मुताबिक अगर आप EU, UK, USA के वैक्सीन प्रोग्राम के तहत वैक्सीनेटिड हैं तो आपको ब्रिटेन में आने के बाद RTPCR करवाना जरुरी नहीं है, क्वारंटीन भी नहीं होना होगा. आप इंस्टेंट टेस्ट करवाकर एयरपोर्ट से बाहर आकर आजाद हैं, बशर्ते आपकी रेपिड (Rapid) या इंस्टेंट (Instant) रिपोर्ट नेगेटिव हो. इस प्रोग्राम के तहत Oxford-AstraZeneca, Pfizer-BioNTech, Moderna या single shot Janssen Vaccine यूरोप, यूके और USA के वैक्सीन प्रोग्राम के तहत लगी होने पर ही मान्य होगी.
कंपनी नहीं, देश के आधार पर बने नियम?
दिलचस्प बात यह है कि यूके ने अफ्रीका को Oxford AstraZeneca की वैक्सीन डोनेट की है लेकिन अब अफ्रीका में वैक्सीन लगवाने पर वो भी मान्य नहीं होगी. इसका मतलब भारत में अगर आपने कोविशील्ड लगवाई है जो कि Oxford Astrazeneca की ही वैक्सीन है तो आपको वैक्सीनेटिड नहीं माना जाएगा. आपको 10 दिन अपने खर्च पर क्वारंटीन और ब्रिटेन पहुंचने से पहले 48 घंटे के नेगेटिव RTPCR और दस दिन बाद भी नेगेटिव RTPCR होने पर ही ब्रिटेन में बाहर निकलने दिया जाएगा.
दोहरे मापदंड क्यों?
ध्यान देने वाली बात है कि Oxford AstraZeneca की ही वैक्सीन Covifer के नाम से ब्रिटेन में लगती है. पूरी दुनिया में फॉर्मूले एक ही हैं. भारत में सीरम इंस्टीट्यूट (Serum Institute Of India Ltd) इस वैक्सीन को बनाती है. इस वैक्सीन को WHO से मान्यता भी मिल चुकी है. विदेश जाने के लिए इस वैक्सीन को EU के 15 देशों से मंजूरी मिली हुई है बावजूद इसके नियम अलग-अलग हैं.
पहले क्या था ब्रिटेन में नियम?
ब्रिटेन में पहले सभी देशों को तीन कैटेगरी Red, Amber, Green में बांटा गया था. अगस्त के महीने से भारत Amber list में था यानी कि इस लिस्ट में होने पर Vaccine लगवाने के बावजूद 48 घण्टे पहले की नेगेटिव RTPCR साथ ही 10 दिन का जरूरी क्वारंटीन और फिर एक बार नेगेटिव RTPCR टेस्ट करवाना होगा. Result पॉजिटिव आने पर सैंपल की जीनोम सिक्वेंसिंग कराई जाएगी जिससे वेरिएंट का पता चल सके.
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क्या बदला है?
इस खबर के बाद संदेश ये जा रहा है कि ब्रिटेन ने भारत के वैक्सीनेशन प्रोग्राम को रिजेक्शन के नजरिए से देखा है. हालांकि इसका मतलब ये नहीं है कि वहां जाकर फिर से वैक्सीन लगवानी होगी. ये कदम भारत में अभी भी कोरोना के खतरे और डेल्टा वेरिएंट की मौजूदगी को देखते हुए लिया गया लगता है. हालांकि कोरोना के बिगड़े हालात ब्रिटेन, अमेरिका समेत कई पश्चिमी देशों में भी खराब हैं. लेकिन अपने वैक्सीन प्रोग्राम को बेहतर बताना और दूसरे देश की वैक्सीन को देश विशेष के आधार पर खारिज करना गले नहीं उतरता.
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