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UK says Indians With Both Doses of Covishield will be considered as Unvaccinated | कोविशील्ड ब्रिटेन में लगे तो असरदार, भारत में बेकार?

नई दिल्ली: अंग्रेज वर्ष 1947 में भारत छोड़कर चले गए, लेकिन भारत को गुलाम समझने की सोच वर्ष 2021 में भी नहीं गई. भारत दुनिया में सबसे ज्यादा वैक्सीन, दवाएं और मेडिकल उपकरण बनाने और निर्यात करने वाला देश है, लेकिन ब्रिटेन के नए वीजा नियम यही बताते हैं कि वो अभी भी भारत को अपना गुलाम समझता है.

ब्रिटेन के नए वीजा नियम 

ब्रिटेन ने विदेशी पर्यटकों के लिए नए वीजा नियमों की घोषणा की है. नए नियमों के मुताबिक यूरोप, ब्रिटेन या अमेरिका के वैक्सीन प्रोग्राम के तहत वैक्सीनेटेड लोगों को ही क्वारंटीन से छूट होगी. ऐसे लोग एयरपोर्ट पर कोरोना का इंस्टंट फ्लो टेस्ट करवाकर बाहर घूमने के लिए आजाद हैं. यानी किसी व्यक्ति ने अगर यूरोप, ब्रिटेन या फिर अमेरिका में Oxford-AstraZeneca, Pfizer- Moderna या जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन लगवाई है तो नेगेटिव रिजल्ट आने पर वो आजादी से ब्रिटेन में कहीं भी घूम सकता है. लेकिन अगर किसी व्यक्ति ने इन देशों के अलावा किसी अन्य देश में इन्हीं में से कोई वैक्सीन ही क्यों ना लगवाई हो. उस व्यक्ति को वैक्सीनेटेजड नहीं माना जाएगा. ऐसे देशों से आने वाले लोगों को ब्रिटेन आने से 48 घंटे पहले RT-PCR टेस्ट करवाना होगा जिसका रिजल्ट नेगेटिव होना चाहिए. 

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ब्रिटेन आने पर 10 दिन क्वारंटीन रहना होगा. उसके बाद फिर से RT-PCR टेस्ट करवाना होगा इसके नेगेटिव आने के बाद ही किसी को बाहर निकलने की इजाजत दी जाएगी. ये नए नियम 4 अक्टूबर से लागू होंगे. 

भारत के साथ पक्षपात क्यों? 

इसका मतलब ये है कि भारत से कोविशील्ड वैक्सीन लगवाकर ब्रिटेन गए व्यक्ति को भी अनवैक्सीनेटेड ही माना जाएगा. जबकि इस वैक्सीन को ब्रिटेन की कंपनी AstraZeneca और ब्रिटेन की ही OxFord University ने मिलकर विकसित किया है. यहां Covxin का नाम इसलिए नहीं है, क्योंकि इस वैक्सीन को अब तक WHO से मंजूरी नहीं मिली है. 

Oxford-Asterazeneca की ही वैक्सीन है, जिसे World Health Organization से मान्यता मिली हुई है. इस वैक्सीन को भारत में सीरम इंस्टीट्यूट बनाता है. इस वैक्सीन को यूरोप के 16 देशों ने भी अप्रूव किया है लेकिन ब्रिटेन के हिसाब से उसकी Oxford-Asterazeneca वैक्सीन भारत की Oxford-Asterazeneca से बेहतर है. 

ब्रिटेन के इन नए वीजा नियमों पर सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं क्योंकि खुद ब्रिटेन की सरकार ने सीरम इंस्टीट्यूट के साथ 10 करोड़ वैक्सीन डोज का करार किया हुआ है और ब्रिटेन की एक सरकारी स्वास्थ्य संस्था ने सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया का दौरा करने के बाद ये घोषणा की थी

. इस पूरे मामले में एक दिलचस्प बात यह भी है कि ब्रिटेन ने अफ्रीका के कई देशों को खुद एस्ट्राजेनेका की लाखों डोज दान में दी थी. लेकिन अगर कोई अफ्रीका में वही वैक्सीन लगवाकर ब्रिटेन जाए तो अब ब्रिटेन उस व्यक्ति को भी वैक्सीनेटेड नहीं मानेगा. 

ब्रिटेन के इन नियमों को भारत के विदेश मंत्रालय ने भी भेदभाव पूर्व बताया है. भारत के विरोध के बाद ब्रिटेन ने सफाई दी है कि वो भारत के वैक्सीन प्रोग्राम को अपने यहां मान्यता देने पर विचार कर रहा है.

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