कांग्रेस को ले डूबेंगी उसकी झूठी गारंटियां, हर वर्ग के साथ छल-कपट का भुगतना पड़ेगा खामियाजा: त्रिलोक
-कांग्रेस नेताओं की सबसे बड़ी दुविधा, किस मुंह से जाएं वोट मांगने, इसी वजह से चुनाव लड़ने से टल रहे उसके नेता
सदर के विधायक त्रिलोक जमवाल ने महिलाओं को प्रतिमाह 1500 रुपये देने समेत अन्य गारंटियों को लेकर कांग्रेस सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने सत्ता में आने पर एक जनवरी 2023 से महिलाओं को प्रतिमाह 1500 रुपये देने की गारंटी दी थी। अपनी इस गारंटी को लेकर भाजपा के खिलाफ दुष्प्रचार करने वाले कांग्रेस नेता बताएं कि उन्हें अपने वादे के अनुरूप महिलाओं को यह पेंशन देने से किसने रोका था। सच्चाई यह है कि कांग्रेस सरकार लगभग 16 माह के कार्यकाल में एक भी गारंटी पूरी नहीं कर पाई है। उसकी दुविधा यह है कि किस मुंह से वोट मांगने जनता के पास जाएं। इसी वजह से उसके नेता चुनाव लड़ने से इंकार कर रहे हैं। कांग्रेस की झूठी गारंटियां ही उसे ले डूबेंगी।
त्रिलोक जमवाल ने कहा कि 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने 10 गारंटियां दी थीं। सत्ता में आने पर अपनी गारंटियां पूरी करने के बजाए उसने भाजपा की पूर्व सरकार द्वारा जनहित में खोले गए 1000 से अधिक संस्थान बंद कर दिए। महिलाओं को एक जनवरी 2023 से प्रतिमाह 1500 रुपये देने के मुद्दे पर कांग्रेस ने सवा साल तक चुप्पी साधे रखी। अब लोकसभा चुनाव में उसने महिलाओं से दोबारा फाॅर्म भरवाकर उन्हें ठगने का प्रयास किया। कांग्रेस की नीयत में खोट को देखकर ही भाजपा ने इस पर आपत्ति जताई। अब कांग्रेस नेता कह रहे हैं कि भाजपा महिलाओं की 1500 रुपये की पेंशन रोक रही है, लेकिन सवाल यह है कि उन्हें जनवरी 2023 से महिलाओं को यह पैसा देने से किसने रोका था। वे यह भी कह रहे हैं कि जून 2024 में महिलाओं को दो माह के 3000 रुपये एक साथ दिए जाएंगे, लेकिन वे बताएं कि उसकी गारंटी के लिहाज से इससे पहले के 16 माह के पैसे कहां गए। जाहिर है कि यह भी केवल चुनावी शिगूफा है।
त्रिलोक जमवाल ने कहा कि कांग्रेस ने सरकार बनने पर केबिनेट की पहली बैठक में युवाओं को एक लाख नौकरियों की गारंटी भी दी थी, लेकिन अभी तक एक भी युवा को नौकरी का तोहफा नहीं मिल पाया है। किसानों और पशु पालकों से 80 व 100 रुपये प्रति लीटर की दर से दूध और 2 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से गोबर खरीदने तथा 300 यूनिट बिजली मुफ्त देने जैसी अन्य गारंटियां भी पूरी नहीं हुई हैं। इस अवधि में सरकार 15 हजार करोड़ रुपये का ऋण ले चुकी है। यह सारा पैसा उसने अपनी ऐश-परस्ती पर ही खर्च किया है। अपना एक भी वादा पूरा नहीं कर पाने की वजह से कांग्रेस नेता जनता से वोट मांगने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं। इसी का नतीजा है कि वे चुनाव लड़ने से इंकार कर रहे हैं। आलम यह है कि लोकसभा की 2 और विधानसभा उपचुनाव की 6 सीटों पर कांग्रेस को चिराग लेकर ढूंढने के बावजूद प्रत्याशी नहीं मिल रहे हैं। हर वर्ग के साथ छल-कपट करने का खामियाजा कांग्रेस को भुगतना ही पड़ेगा।
[democracy id="1"]