



इसीलिए… नेता को छोड़ें और पुरुषार्थ को पकड़ें.
याद रखें कि…. भगवान श्रीकृष्ण के स्वयं मौजूद होते हुए भी… अर्जुन का “पुरुषार्थ ही” काम आया था महाभारत में…!!
फिर… आप सब अपने धर्मग्रंथों को बार-बार भूल क्यों जाते हो ???
असल में… हमारे धर्मग्रंथ सिर्फ कहानियों का संकलन मात्र नहीं हैं … बल्कि, उसमें हमारे लिए दिशा निर्देश हैं.
इसीलिए…. हमारे और आपके सभी सवालों के जबाब वहीं मौजूद हैं.
जय महाकाल…!!!
रणभूमि/संकट काल में रोने-पीटने से ज्यादा बेहतर पुरुषार्थ दिखाना होता है.
इतिहास… “रोतुलु” नहीं बल्कि विजेता लिखा करते हैं……..
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