



परीक्षा पे चर्चा (पीपीसी) का बहुप्रतीक्षित छठा संस्करण फिर से आपके लिए प्रस्तुत किया जा रहा है। पीपीसी 2023 तालकटोरा इंडोर स्टेडियम में 27 जनवरी 2023 को सुबह 11 बजे आयोजित किया जाएगा। इस कार्यक्रम में देश-विदेश के करोड़ों छात्र, शिक्षक और अभिभावक भाग लेंगे। इस वर्ष पंजीकरण में अभूतपूर्व वृद्धि दर्ज की गई है, क्योंकि लगभग 38.80 लाख छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों ने पीपीसी 2023 के लिए पंजीकरण कराया है। लगभग 150 देशों के छात्र, 51 देशों के शिक्षक और 50 देशों के अभिभावक, पीपीसी-2023 के लिए पंजीकृत हुए हैं। मुख्य रूप से विभिन्न राज्य बोर्डों के छात्रों व शिक्षकों के पंजीकरण से हुई यह ढाई गुनी से अधिक की भारी वृद्धि, माननीय प्रधानमंत्री की इस अनूठी पहल की बढ़ती लोकप्रियता को स्पष्ट रूप से इंगित करती है।इस संस्करण में भी प्रतिभागियों को माननीय प्रधानमंत्री से सीधे संवाद करने का मौका मिलेगा। आप में से कई लोग इस पहल के पीछे की भावना के बारे में सोच रहे होंगे, जिसके तहत माननीय प्रधानमंत्री छात्रों से सीधी बातचीत करते हैं? तो चलिए मैं आपको इसका जवाब देता हूं। पीपीसी माननीय प्रधानमंत्री द्वारा मूल्यांकन के लिए एक तनाव मुक्त इकोसिस्टम की स्थापना तथा छात्रों, माता-पिता, शिक्षकों और समाज को प्रत्येक छात्र की विशिष्टता को लेकर खुशी मनाने और उनके समग्र विकास को बढ़ावा देने का एक अभियान है। इस कार्यक्रम के माध्यम से, माननीय प्रधानमंत्री छात्रों से संवाद करेंगे तथा परीक्षा के तनाव और संबंधित मुद्दों पर उनके प्रश्नों का उत्तर देंगे।जैसा कि आप जानते हैं, परीक्षा का तनाव सबसे गंभीर मुद्दों में से एक है, जिनका हम सामना कर रहे हैं। आगामी परीक्षाओं को लेकर कुछ तनाव महसूस करना, एक सामान्य बात है। वास्तव में, थोड़ा-सा तनाव आपको चुनौती दे सकता है और आपको अधिक मेहनत करने के लिए प्रेरित कर सकता है। लेकिन परीक्षा का तनाव तब समस्याग्रस्त हो जाता है, जब यह आपके शैक्षणिक और ज्ञान-प्राप्ति के लक्ष्यों के प्रति कार्य करने और इन्हें हासिल करने की आपकी क्षमता में बाधक बनता है। इन स्थितियों में, माता-पिता और शिक्षक दोनों ही बच्चे के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह माता-पिता और शिक्षकों की जिम्मेदारी है कि वे अपने स्वयं के सपने छात्रों पर न थोपें। प्रत्येक बच्चे के लिए आवश्यक है कि वह अपने सपने को पूरा करने का प्रयास करे। इस अभियान को प्रेरित करने में माननीय प्रधानमंत्री की मार्गदर्शक और लोकप्रिय किताब ‘एग्जाम वॉरियर्स’ की अहम भूमिका है, जो अब 13 अलग-अलग भाषाओं में उपलब्ध है। इस किताब के माध्यम से उन्होंने शिक्षा के प्रति एक नवीन दृष्टिकोण की रूपरेखा प्रस्तुत की है। इसमें छात्रों के ज्ञान और समग्र विकास को अत्यधिक महत्व दिया गया है। उन्होंने सभी से परीक्षा को अनावश्यक तनाव और दबाव के कारण जीवन-मरण की स्थिति बनाने के बजाय इसे सही परिप्रेक्ष्य में रखने का भी आग्रह किया है। छात्रों को किस तरह प्रतियोगी परीक्षाओं की जरूरतों के अनुरूप तैयार होना चाहिए और बोर्ड परीक्षाओं के लिए अध्ययन करना चाहिए आदि जैसे पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने अक्सर यह कहा है कि यदि कोई पूरे मनोयोग से पाठ्यक्रम का अध्ययन करता है, तो परीक्षा वास्तव में कोई मायने नहीं रखती है। उन्होंने कहा कि एक व्यक्ति को परीक्षा में पास होने के बजाय विषय में महारत हासिल करने का लक्ष्य रखना चाहिए। उन्होंने छात्रों को सलाह दी कि वे सिर्फ परीक्षा के लिए नहीं, बल्कि ज्ञान हासिल के लिए अध्ययन करें। उन्होंने यह भी कहा कि एथलीट खेलों के लिए प्रशिक्षण लेते हैं, न कि प्रतियोगिता के लिए। उन्होंने कहा, “आप एक विशिष्ट पीढ़ी के हैं। हां अपेक्षाकृत अधिक प्रतिस्पर्धा है, लेकिन अवसर भी अधिक हैं।” उन्होंने छात्रों से प्रतियोगिता को अपने युग का सबसे बड़ा उपहार मानने का आह्वान किया। उन्होंने कई बार इस बात पर जोर दिया है कि सीखने की प्रक्रिया एक सुखद, संतोषप्रद और जीवन भर चलने वाली यात्रा होनी चाहिए“हमारे लंबे जीवन में, परीक्षा खुद को चुनौती देने के विभिन्न अवसरों में से एक है। समस्या तब पैदा होती है जब आप इसे अपने सभी सपनों के अंत के रूप में, जीवन और मरण के प्रश्न के रूप में देखते हैं। किसी भी परीक्षा को एक अवसर के रूप में लें। वास्तव में, हमें ऐसी चुनौतियों से दूर भागने के बजाय उनके लिए उत्सुक रहना चाहिए।”।