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October 16, 2025 1:34 am

नाबार्ड से आए फंड को लेकर मुख्यमंत्री झूठ बोल रहे हैं : रणधीर

शिमला, भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं नैना देवी से विधायक रणधीर शर्मा ने प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा भाजपा का आरोप है कि हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू सरासर झूठ बोलकर प्रदेश की जनता को गुमराह कर रहे हैं। भाजपा के विधायक दल ने पिछले कल और आज होने वाली योजना बैठकों का बहिष्कार किया क्योंकि पिछले दो साल से विधायक प्राथमिकता के अंतर्गत दी गई स्कीमों को नाबार्ड से, खासकर भाजपा विधायकों के विधानसभा क्षेत्र हैं उनकी स्कीमों के लिए नहीं दिया जा रहा था। परंतु मुख्यमंत्री महोदय ने कल मीडिया के माध्यम से जो आंकड़े रखे कि भाजपा के विधायकों के विधानसभा क्षेत्रों में इन दो सालों में इतनी इतनी धनराशि स्वीकृत हुई है। यह सब आंकड़े तथ्यों से पूरी तरह परे है, मुख्यमंत्री कहा सराज विधानसभा क्षेत्र में दो सालों में 50 करोड़, नैना देवी जी विधानसभा क्षेत्र में 124 करोड़, करसोग में 127 करोड़, सुंदरनगर में 82 करोड़, नाचन में 45 करोड़, जोगेंदरनगर में 50 करोड़ और मंडी में 33 करोड़ ऐसे अनेक विधानसभा क्षेत्रों के यहां तक कि जसवां प्रागपुर के तो 173 करोड़ का आंकड़ा दे दिया। जबकि सच्चाई से इन आंकड़ों का कोई वास्ता नहीं है, हमारे विधानसभा क्षेत्रों में दो सालों से कोई स्कीम स्वीकृत नहीं हो रही है। जो हमने विधायक प्राथमिकता में स्कीमें दी है उनकी अभी या तो डीपीआर नहीं बनी, अगर डीपीआर बनी तो वह भी प्लानिंग के पास है और अगर कोई नाबार्ड में पहुंची है तो उसको कोई धनराशि स्वीकृत नहीं हुई है। विधायक ने कहा कि यहां तक कि दो साल से पहले की भी जो विधायक प्राथमिकता की स्कीमें नाबार्ड में गई हुई है उनके लिए भी हमारे विधानसभा क्षेत्र की स्कीमों की धनराशि स्वीकृत नहीं हो रही है। विधायक ने आरोप लगाते हुए कहा कि इसका कारण यह है कि मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने सत्ता में आने के बाद नाबार्ड द्वारा स्वीकृत स्कीमों के पैमाने बदल दिए, पहले यह परंपरा थी कि जो स्कीम पहले जाती थी उसको पहले स्वीकृत किया जाता था, मान लो लोक निर्माण विभाग के माध्यम से जो सड़कों पुलों की स्कीम जिस क्रम में जाती थी उसी क्रम में स्वीकृत होती थी। जल शक्ति विभाग के हेड में उसकी स्कीम में उसी क्रम में स्वीकार होती थी। परंतु वर्तमान मुख्यमंत्री महोदय नाबार्ड की मीटिंग से पहले एक पत्र लिखते हैं और उन विधायक प्राथमिकताओं को रीप्राइज करते हैं, उसकी दोबारा प्राथमिकता देते हैं, दोबारा लिस्ट देते हैं और उस लिस्ट में सिर्फ कांग्रेस पार्टी के विधायकों के विधानसभा क्षेत्रों की स्कीमें होती है।